भिलाई में डिजिटल धोखाधड़ी: फर्जी गिरफ्तारी वारंट से 49 लाख की ठगी का पर्दाफाश
छत्तीसगढ़ के भिलाई में डिजिटल ब्लैकमेलिंग और ठगी का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। रुआबांधा निवासी इंद्र प्रकाश कश्यप को ट्राई और ईडी के अधिकारी के रूप में फर्जी पहचान का इस्तेमाल कर ब्लैकमेल किया गया। व्हाट्सएप पर ईडी और सीबीआई के नोटिस और सुप्रीम कोर्ट से फर्जी गिरफ्तारी वारंट भेजकर उनसे 49 लाख रुपए ठग लिए गए।
कैसे हुआ ठगी का खुलासा?
पीड़ित इंद्र प्रकाश, जो खड़गपुर स्टील कंपनी में वाइस प्रेसीडेंट हैं, ने 16 नवंबर को भिलाईनगर थाने में शिकायत दर्ज करवाई। पुलिस ने इस मामले की जांच शुरू की और आरोपी बापू श्रीधर भराड़ (40) को औरंगाबाद, महाराष्ट्र से गिरफ्तार किया।
पुलिस के अनुसार, आरोपी ने पहले पीड़ित की रेकी की और फिर व्हाट्सएप कॉल्स व मैसेज के जरिए संपर्क साधा। उसने खुद को राष्ट्रीय जांच एजेंसी का अधिकारी बताते हुए सुप्रीम कोर्ट का फर्जी गिरफ्तारी वारंट भेजा और पैसों की मांग की। आरोपी ने प्रार्थी से 49 लाख रुपए “सीक्रेट सुपरविजन अकाउंट” में ट्रांसफर करवा लिए।
पुलिस जांच का तरीका
- डिजिटल साक्ष्य: पीड़ित के मोबाइल पर आने वाले व्हाट्सएप नंबर और बैंक डिटेल्स खंगाले गए।
- बैंक ट्रेसिंग: आरोपी द्वारा उपयोग किए गए बैंक खाते का पता लगाया गया। यह खाता आईसीआईसीआई बैंक, औरंगाबाद में “वैष्णवी ऑटो स्पेयर” के नाम से खोला गया था।
- लॉकेशन ट्रैकिंग: बैंक में रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर के आधार पर आरोपी का पता लगाया गया।
गिरफ्तारी और बरामदगी
पुलिस ने आरोपी को संभाजीनगर, महाराष्ट्र के राहेगांव से गिरफ्तार किया। उनके पास से घटना में प्रयुक्त सिम कार्ड, मोबाइल फोन और बैंक डिटेल्स बरामद की गई हैं।
मामले का महत्व
यह मामला न केवल डिजिटल ठगी की बढ़ती घटनाओं को उजागर करता है, बल्कि यह भी बताता है कि साइबर अपराधी कैसे राष्ट्रीय जांच एजेंसियों की नकली पहचान बनाकर लोगों को ठगते हैं।
पुलिस की अपील
पुलिस ने नागरिकों से अपील की है कि वे किसी भी फर्जी कॉल या मैसेज से सतर्क रहें और किसी भी अनजान व्यक्ति को बैंक डिटेल्स साझा न करें।