
RAIPUR NEWS – छत्तीसगढ़ में इस साल 10वीं और 12वीं बोर्ड परीक्षाओं के दौरान लगभग 56,000 छात्रों की अनुपस्थिति ने शिक्षा विभाग और समाज दोनों को चौंका दिया है। यह आंकड़ा न सिर्फ छात्रों की भागीदारी पर सवाल उठाता है, बल्कि राज्य में मौजूदा सामाजिक और आर्थिक परिस्थितियों की ओर भी इशारा करता है।
माध्यमिक शिक्षा मंडल के ताज़ा आंकड़ों के अनुसार, 10वीं की परीक्षा में लगभग 51,000 छात्र और 12वीं की परीक्षा में करीब 15,000 छात्र परीक्षा देने नहीं पहुंचे। यह संख्या प्रदेश के शिक्षा तंत्र के लिए एक गंभीर चेतावनी है।
विषयों के प्रति डर और आत्मविश्वास की कमी –
विषयवार अनुपस्थित छात्रों की सूची देखने पर स्पष्ट होता है कि गणित और अंग्रेज़ी जैसे विषयों को लेकर छात्रों में अब भी डर और घबराहट का माहौल बना हुआ है।
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गणित में 8,622 छात्र गैरहाज़िर रहे।
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अंग्रेज़ी में 8,561
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हिंदी में 8,474
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विज्ञान में 8,561
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संस्कृत में 7,766
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सामाजिक विज्ञान में 8,470 छात्रों ने परीक्षा नहीं दी।
कुछ छात्रों ने केवल एक या दो विषयों की परीक्षा छोड़ी, वहीं बड़ी संख्या में ऐसे छात्र भी रहे जिन्होंने सभी विषयों में अनुपस्थिति दर्ज कराई।
आर्थिक मजबूरी बनी सबसे बड़ी बाधा –
छात्रों के परीक्षा में शामिल न होने के पीछे आर्थिक परेशानियों को एक अहम कारण माना जा रहा है। ग्रामीण इलाकों से आने वाले कई छात्र खेती या मज़दूरी में अपने परिवार का साथ देने के लिए पढ़ाई से दूर हो जाते हैं। परीक्षाओं के समय उनके लिए एक महीने तक की छुट्टी लेना संभव नहीं होता, खासकर तब जब घर की आय का एक हिस्सा उनकी कमाई से जुड़ा हो।
कुछ छात्र अपने परिवार के साथ श्रमिक के तौर पर पलायन कर जाते हैं, जिससे वे समय पर परीक्षा केंद्रों तक नहीं पहुंच पाते।
शिक्षा में रुचि की कमी और प्रेरणा का अभाव –
शिक्षाविदों का मानना है कि छात्रों की शिक्षा में निरंतरता बनाए रखने के लिए जरूरी है कि उन्हें पढ़ाई के प्रति एक सकारात्मक दृष्टिकोण और बेहतर वातावरण मिले। सिर्फ पाठ्यक्रम को पढ़ा देना काफी नहीं, बल्कि शिक्षा को रुचिकर और व्यावहारिक बनाना भी ज़रूरी है। अगर छात्र विषयों को अपनी ज़िंदगी और करियर से जोड़कर देखेंगे, तभी उनकी दिलचस्पी बढ़ेगी।
माध्यमिक शिक्षा मंडल का समाधान –
छात्रों को एक और मौका देने के लिए मंडल की ओर से द्वितीय मुख्य परीक्षा की व्यवस्था की गई है, जिसमें वे अनुपस्थित विषयों की परीक्षा दे सकते हैं। इस प्रयास का उद्देश्य है कि कोई भी छात्र शिक्षा से वंचित न रहे और उसे आगे बढ़ने का एक और अवसर मिले।