दुर्ग की मोक्षित कार्पोरेशन पर EOW और ACB के छापे, 660 करोड़ के घोटाले का पर्दाफाश
दुर्ग, रायपुर और हरियाणा में मोक्षित कार्पोरेशन के ठिकानों पर EOW और ACB की ताबड़तोड़ कार्रवाई। स्वास्थ्य विभाग में 660 करोड़ रुपए से ज्यादा की गड़बड़ी का आरोप। जानें पूरी रिपोर्ट।
भिलाई। स्वास्थ्य विभाग में हुए बड़े घोटाले की जांच में दुर्ग स्थित मोक्षित कार्पोरेशन एक बार फिर से सवालों के घेरे में आ गई है। सोमवार तड़के EOW और ACB की संयुक्त टीम ने मोक्षित कार्पोरेशन के दुर्ग, रायपुर और हरियाणा समेत 12 ठिकानों पर छापेमारी की। कंपनी पर रीएजेंट और मेडिकल उपकरणों की सप्लाई में करोड़ों रुपए की गड़बड़ी का आरोप है।
विधानसभा में उठा मामला:
660 करोड़ रुपए से ज्यादा के घोटाले का यह मामला पहले भी छत्तीसगढ़ विधानसभा में चर्चा का केंद्र रहा है। रिपोर्ट्स के अनुसार, कंपनी ने ब्लड सैंपल ट्यूब, सीबीसी मशीन और अन्य उपकरणों को बाजार कीमत से कई गुना अधिक रेट पर सप्लाई किया।
- 8.5 रुपए की ट्यूब को 2,352 रुपए में बेचा।
- 5 लाख की मशीन 17 लाख रुपए में सप्लाई।
EOW और ACB की कार्रवाई:
ACB और EOW ने दुर्ग के गंजपारा स्थित मोक्षित कार्पोरेशन, रायपुर के GE रोड और हरियाणा के पंचकुला समेत अन्य ठिकानों पर छापा मारा। छापे के दौरान कई महत्वपूर्ण दस्तावेज, इलेक्ट्रॉनिक डेटा और वित्तीय लेन-देन से जुड़े रिकॉर्ड जब्त किए गए।
संदिग्ध टेंडर प्रक्रिया:
जांच में यह भी सामने आया कि मोक्षित कार्पोरेशन ने शेल कंपनियों के जरिए टेंडर प्रक्रिया को प्रभावित किया। दूसरी कंपनियों को तकनीकी आधार पर बाहर कर, मनमाने दामों पर सप्लाई का ठेका लिया।
30 जिलों और 750 स्वास्थ्य केंद्रों तक पहुंच:
आरोप है कि मोक्षित कार्पोरेशन ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों पर दबाव डालकर 30 जिलों के 750 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों और 170 स्वास्थ्य उपकेंद्रों में रीएजेंट और मशीनों की सप्लाई की।
रीएजेंट्स की अनावश्यक सप्लाई से भारी नुकसान:
जिन केंद्रों पर उपकरण और रीएजेंट रखने की जगह नहीं थी, वहां भी इन्हें सप्लाई किया गया। नतीजतन, कई रीएजेंट्स एक्सपायर हो गए, जिससे सरकारी धन का दुरुपयोग हुआ।
भ्रष्टाचार अधिनियम के तहत अपराध दर्ज:
ACB ने कंपनी और उससे जुड़े अधिकारियों के खिलाफ IPC की धारा 409, 120B, 13(1) A, 13(2), और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7(C) के तहत अपराध दर्ज किया है।