महाकुंभ में होगा 7500 करोड़ रुपये खर्च, सरकार ने बजट आवंटित किया-
महाकुंभ में होगा 7500 करोड़ रुपये खर्च, सरकार ने बजट आवंटित किया-
महाकुंभ, सनातन सभ्यता के सबसे बड़े पर्व में से एक, के शुभारंभ में सिर्फ 15 दिन का समय रह गया है। इसलिए मेले की तैयारी अभी अंतिम चरण में है। राज्य की योगी सरकार भी इस बार के कुंभ में किसी भी तरह की कमी नहीं छोड़ना चाहती। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद व्यवस्था पर निगरानी रखे हुए हैं। हम आपको कुंभ की लागत बताएंगे। जिससे आप समझ सकेंगे कि वर्तमान और पहले के खर्च में कितना फर्क आया है।
पुरानी संस्कृति में सबसे बड़ा पर्व महाकुंभ है। लाखों लोग इसमें भाग लेते हैं। उस हिसाब से भी व्यवस्था की जाती है, जाहिर है। इसके लिए भी काफी धन खर्च होता है। आज कुंभ का मूल्य इतना नहीं है। आप पहले के खर्च को जानेंगे तो हैरान हो जाएंगे। आपको हैरान होगा कि पहले महाकुंभ का पूरा आयोजन सिर्फ 20 हजार रुपये में हुआ था। लेकिन उस समय ये भी बहुत बड़ी रकम थी। लेकिन आज 20 हजार ऐसे आयोजनों के लिए बहुत बड़ी राशि नहीं होती।
20 हजार रुपये में महाकुंभ का आयोजन किया गया था
महाकुंभ का आयोजन भारतीय सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसका इतिहास और खर्च समय के साथ बदलता गया है। आपके द्वारा साझा की गई जानकारी को देखते हुए, महाकुंभ के आयोजन का विवरण इस प्रकार है:
- 1882 का महाकुंभ
- श्रद्धालु: 8 लाख
- खर्च: ₹20,288 (आज के हिसाब से ₹3.6 करोड़)
- भारत की कुल जनसंख्या: 22.5 करोड़
- 1894 का महाकुंभ
- श्रद्धालु: 10 लाख
- खर्च: ₹69,427 (आज के हिसाब से ₹10.5 करोड़)
- 1906 का महाकुंभ
- श्रद्धालु: 25 लाख
- खर्च: ₹90,000 (आज के हिसाब से ₹13.5 करोड़)
- 1918 का महाकुंभ
- श्रद्धालु: 30 लाख
- खर्च: ₹1.4 लाख (आज के हिसाब से ₹16.4 करोड़)
- 2013 का महाकुंभ
- खर्च: ₹1300 करोड़
- 2019 का अर्धकुंभ
- खर्च: ₹4200 करोड़
- 2025 का प्रस्तावित महाकुंभ
- सरकार द्वारा बजट: ₹7500 करोड़
- अनुमानित श्रद्धालु: 40-50 करोड़
यह जानकारी महाकुंभ के बढ़ते पैमाने और इसके आयोजन में बढ़ते खर्च को दर्शाती है। यह न केवल धार्मिक आयोजन है बल्कि देश की आर्थिक और सांस्कृतिक शक्ति का भी प्रतीक है।