8 साल, 5 PM- क्यों बुरी तरह हारी ऋषि सुनक की कंजर्वेटिव पार्टी…
लंदन ब्रिटेन में आम चुनाव के वोटों की गिनती शुरू हो चुकी है नतीजों में लेबर पार्टी तेजी से बहुमत की ओर बढ़ रही है।
जहां शुरुआती रुझानों में कीर स्टारमर की पार्टी 200 के आंकड़े को पार कर चुकी है, वहीं लेबर पार्टी अब तक 32 सीटों पर ही आगे दिख रही है। नतीजों से पहले गुरुवार को एग्जिट पोल की माने तो कीर स्टारमर ब्रिटेन के अगले प्रधानमंत्री होंगे।
उनकी लेबर पार्टी संसदीय चुनाव में भारी बहुमत हासिल करने जा रही है, जबकि ऋषि सुनक की कंजर्वेटिव पार्टी को ऐतिहासिक हार का सामना करना पड़ सकता है।
एक्जिट पोल से पता चला है कि लेबर पार्टी 650 सीटों वाली संसद में 410 सीटें जीतने में कामयाब होगी। इसके साथ ही ब्रिटेन में कंजर्वेटिव पार्टी के 14 साल पुरानी सरकार का अंत हो जाएगा।
ऋषि सुनक की पार्टी को केवल 131 सीटें मिलने का अनुमान है जो फिलहाल संसद में मौजूद 346 से बहुत कम है।
विश्लेषकों का मानना है कि मतदाता कंजर्वेटिव पार्टी को रोजमर्रा की चीजों के लिए संकट और अस्थिरता और आपसी मतभेद के लिए सजा दे रहे हैं। गौरतलब है कि 2016 से देश में पांच अलग-अलग प्रधानमंत्री बनाए जा चुके हैं।
कितने सटीक होते हैं एग्जिट पोल
ब्रिटेन के पिछले छह आम चुनावों में सिर्फ एक एग्जिट पोल ने नतीजों का गलत आकलन किया है जब 2015 में पोल ने संसद में अस्थिरता की भविष्यवाणी की थी, जबकि असल में कंजर्वेटिव पार्टी को बहुमत मिली थी।
अगले कुछ घंटों में आधिकारिक नतीजे आ जाएंगे। ऋषि सुनक ने मई में चुनाव की घोषणा करके वेस्टमिंस्टर और अपनी पार्टी के कई लोगों को चौंका दिया।
उस वक्त ओपिनियन पोल में कंजर्वेटिव पार्टी लेबर पार्टी से लगभग 20 अंकों से पीछे थी। हालांकि ऋषि सुनक को यह उम्मीद थी कि यह अंतर कम हो जाएगा जैसा कि ब्रिटिश चुनावों में अक्सर होता रहा है। लेकिन इस बार चीज़ें बदल गई।
क्या है सुनक के हारने की वजहें
वोटिंग की घोषणा के कुछ दिनों बाद ही कंजर्वेटिव उम्मीदवार चुनाव की तारीख पर लगाए गए संदिग्ध दांव पर जुए के घोटाले में फंस गए। फ्रांस में डी-डे के कार्यक्रमों से टीवी इंटरव्यू के लिए सुनक के जल्दी चले जाने से दिग्गजों में ऋषि के खिलाफ गुस्सा है।
यहां तक कि उनकी अपनी पार्टी के लोगों ने भी कहा कि इससे उनकी राजनीतिक सूझबूझ पर सवाल उठते हैं। ओपिनियन पोल से पता चला है कि लेबर पार्टी के नेता स्टारमर ज्यादा लोकप्रिय भी नहीं है, लेकिन उनका सरल संदेश कि बदलाव का समय आ गया है, मतदाताओं को पसंद आया है।
एक तरफ जहां फ्रांस में मरीन ले पेन की दक्षिण पंथी नेशनल रैली पार्टी ने पिछले रविवार को हुए चुनाव में ऐतिहासिक बढ़त हासिल की, वहीं दूसरी तरफ ब्रिटिश जनता इसके बजाय वामपंथी पार्टी पर भरोसा जता रही है।
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