स्वदेशी तकनीक से निर्मित BSNL 4G नेटवर्क लॉन्च, PM मोदी ने दिया ‘डिजिटल भारत’ को नई गति

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत संचार निगम लिमिटेड (BSNL) के बहुप्रतीक्षित 4G नेटवर्क को आज (शनिवार) लॉन्च कर दिया है। यह लॉन्च इसलिए ऐतिहासिक है, क्योंकि इस पूरे नेटवर्क सिस्टम को पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक का उपयोग करके तैयार किया गया है। BSNL का लक्ष्य देशभर में एक साथ 98,000 साइटों पर इस 4G सेवा को रोलआउट करना है, जिससे सरकारी टेलीकॉम कंपनी के पुनरुद्धार की शुरुआत हो सके।

ऐतिहासिक कदम और 5G में आसान अपग्रेड:

केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने इस लॉन्च को ‘ऐतिहासिक’ बताते हुए इसके महत्व पर जोर दिया। इस स्वदेशी 4G स्टैक की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे सीधे 5G में अपग्रेड किया जा सकता है। यानी, भविष्य में 5G में बदलने के लिए किसी बड़े हार्डवेयर बदलाव की आवश्यकता नहीं होगी, बल्कि मात्र एक सॉफ्टवेयर अपडेट के जरिए यह 5G में परिवर्तित हो जाएगा।

ग्रामीण क्षेत्रों को मिलेगी नई ताकत:

BSNL का दावा है कि इस लॉन्च के बाद देश के सबसे दूरस्थ इलाकों—चाहे वह गांव हो, जंगल या पहाड़ी क्षेत्र—तक भी तेज इंटरनेट कनेक्टिविटी पहुंच सकेगी। सरकार की ‘डिजिटल भारत निधि’ पहल के तहत, अब तक नेटवर्क से वंचित रहे क्षेत्रों में भी आधुनिक नेटवर्क की पहुंच सुनिश्चित हो सकेगी। इस कदम से भारत उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल हो गया है, जिन्होंने अपनी खुद की टेलीकॉम तकनीक सफलतापूर्वक विकसित की है।

अस्तित्व बचाने की आखिरी कोशिश?

हालांकि, यह लॉन्च BSNL के लिए एक बड़ी चुनौती से भरी राह की शुरुआत है। निजी ऑपरेटर जैसे जियो और एयरटेल पहले ही 5G सेवाएँ शुरू कर चुके हैं, जबकि BSNL अब जाकर 4G रोलआउट कर रहा है।

ट्राई (TRAI) के जुलाई 2025 के आँकड़ों के अनुसार, BSNL लगातार ग्राहक खो रहा है और इसका मार्केट शेयर 8% से नीचे गिर गया है। निजी ऑपरेटरों ने भारी संख्या में नए ग्राहक जोड़े हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि ऐतिहासिक चूकों, जैसे मोबाइल सर्विस लॉन्च करने में देरी, 3G स्पेक्ट्रम की नीलामी में शामिल न होना, और लैंडलाइन ग्राहकों का लगातार घटना, के कारण BSNL को नुकसान उठाना पड़ा।

ऐसे में, जब PM मोदी पहले ही 2030 तक भारत में 6G शुरू करने का रोडमैप जारी कर चुके हैं, यह स्वदेशी 4G लॉन्च BSNL के लिए न केवल गौरव का विषय है, बल्कि बाजार में अपनी प्रासंगिकता और अस्तित्व को बनाए रखने की एक महत्वपूर्ण और शायद आखिरी कोशिश भी साबित हो सकता है।

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