देश: भारत के नए उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति सीपी राधाकृष्णन ने मंगलवार को संसद के विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं के साथ अपनी पहली औपचारिक बैठक की। इस मुलाकात में उन्होंने सभी दलों से सदन को सुचारू रूप से चलाने में सहयोग की भावुक अपील की।
उपराष्ट्रपति राधाकृष्णन ने जोर देकर कहा कि संसदीय परंपराओं और मर्यादाओं का पालन करते हुए सदन में बहस होनी चाहिए, और किसी भी सांसद को ‘लक्ष्मण रेखा’ (मर्यादा की सीमा) पार नहीं करनी चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि संसद जनप्रतिनिधियों की गरिमा और लोकतंत्र के आदर्शों का प्रतीक है, इसलिए व्यवधान के बजाय संवाद को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
उन्होंने कहा, “सांसदों को बोलने का अधिकार है, लेकिन हमें ‘लक्ष्मण रेखा’ पार नहीं करनी चाहिए। मतभेदों के बिना लोकतंत्र नहीं हो सकता,” लेकिन इसके साथ ही मर्यादा और अनुशासन की सीमाओं का पालन जरूरी है। उन्होंने सभी दलों से अपील की कि वे जनता से जुड़े मुद्दों पर सार्थक बहस के लिए सदन के संचालन में सहयोग करें।
इस महत्वपूर्ण बैठक में स्वास्थ्य मंत्री और सदन के नेता जेपी नड्डा, कांग्रेस के उपनेता प्रमोद तिवारी, कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल सहित कई प्रमुख नेता शामिल हुए। हालांकि, राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे अस्वस्थता के कारण उपस्थित नहीं हो सके।
बैठक के दौरान, कांग्रेस के मुख्य सचेतक जयराम रमेश ने सभापति से राष्ट्रीय सुरक्षा और चीन से संबंधित विषयों जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर ‘ध्यानाकर्षण’ और ‘अल्पकालिक चर्चा’ की अनुमति देने की मांग की। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि सभी विधेयकों को स्थायी समितियों के पास भेजा जाना चाहिए।
बैठक के बाद कांग्रेस के उपनेता प्रमोद तिवारी ने कहा कि सभापति ने एक नई और अच्छी परंपरा शुरू की है, जहां उन्होंने सबकी बात सुनी। उन्होंने आश्वासन दिया कि संसद का कामकाज सुचारू रूप से चलेगा और विपक्ष को महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा का अवसर मिलेगा। द्रमुक और माकपा सांसदों ने भी सभापति से सत्ता पक्ष और विपक्ष के साथ समान व्यवहार सुनिश्चित करने की उम्मीद जताई।