सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (CJI) सूर्यकांत ने कोर्ट में लंबित मामलों (cases pending in court) पर हो रही टिप्पणियों और न्यायिक कार्यवाही को लेकर बन रहे सार्वजनिक नैरेटिव पर गहरी चिंता व्यक्त की है।
‘सोचना भी नहीं कोई मुझे डरा-धमका सकता है’
पूर्व सांसद प्रज्जवल रेवन्ना की याचिका पर सुनवाई करते हुए, जिसमें उन्होंने अपने खिलाफ रेप केस के ट्रायल को ट्रांसफर करने का अनुरोध किया था, CJI सूर्यकांत ने एक सख्त टिप्पणी की।
मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत ने कहा कि न्यायिक सवाल दोनों पक्षों की ताकत को परखने के लिए किए जाते हैं, वे कोर्ट के अंतिम मत को नहीं दर्शाते हैं। उन्होंने कहा:
“हालांकि, लोग इस बात को समझे बगैर नतीजे पर पहुंच जाते हैं और कार्यवाही के दौरान पूछे गए सवालों के आधार पर नैरेटिव बनाने लगते हैं। लेकिन मैं इस सबसे प्रभावित नहीं होता हूं… सोशल मीडिया या कैसे भी। अगर किसी को ऐसा लगता है कि वे मुझे डरा-धमका सकते हैं तो वे गलत हैं। मैं बहुत मजबूत आदमी हूं।“
इस टिप्पणी को रोहिंग्याओं पर उनके पिछले बयान को लेकर पूर्व जजों और वकीलों के एक ओपन लेटर पर प्रतिक्रिया के तौर पर देखा जा रहा है।
पक्षपात का आधार नहीं बन सकती टिप्पणी
प्रज्जवल रेवन्ना के वकीलों ने जजों की टिप्पणियों को पक्षपात का आधार बताते हुए ट्रायल्स के ट्रांसफर की मांग की थी।
इस पर सुनवाई कर रहे जस्टिस जॉयमाल्या बागची ने स्पष्ट किया कि जज की टिप्पणियाँ पक्षपात का आधार नहीं हो सकती हैं। बेंच ने आगे कहा कि उन्हें संदेह करने का कोई कारण नहीं है कि ट्रायल जज इस तथ्य से प्रभावित होंगे कि याचिकाकर्ता को पहले किसी मामले में दोषी पाया गया था, और जज मौजूदा मुकदमे में पेश किए गए सबूतों के आधार पर ही अपना निष्कर्ष देंगे।