भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स को बड़ा झटका: अमेरिकी अदालत ने H-1B वीजा पर सालाना शुल्क को बरकरार रखा

अमेरिकी अदालत ने H-1B वीजा के सालाना शुल्क को कानूनी रूप से सही ठहराया है। जानिए इस फैसले का भारतीय आईटी पेशेवरों और टेक कंपनियों पर क्या असर पड़ेगा।

भारतीय आईटी पेशेवरों और तकनीकी कंपनियों के लिए एक महत्वपूर्ण खबर सामने आई है। अमेरिका की एक अदालत ने H-1B वीजा के लिए लागू किए गए वार्षिक शुल्क (Annual Fee) को पूरी तरह से वैध करार दिया है। इस फैसले के बाद अब कंपनियों को अपने विदेशी कर्मचारियों के लिए निर्धारित अतिरिक्त शुल्क का भुगतान जारी रखना होगा, जिसका सीधा असर भारत से अमेरिका जाने वाले स्किल्ड वर्कर्स पर पड़ सकता है।

क्या है पूरा मामला?

दरअसल, अमेरिकी सरकार ने H-1B वीजा प्रोग्राम के तहत कुछ अतिरिक्त शुल्क और फीस स्ट्रक्चर में बदलाव किए थे। इन बदलावों को कुछ संगठनों और कंपनियों द्वारा अदालत में चुनौती दी गई थी। याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि यह अतिरिक्त वित्तीय बोझ कंपनियों के लिए अनुचित है और इससे विदेशी प्रतिभाओं को नियुक्त करना महंगा हो जाता है। हालांकि, अदालत ने इन दलीलों को खारिज करते हुए सरकार के फैसले को कानूनन सही माना है।

भारतीय पेशेवरों पर असर

H-1B वीजा का सबसे ज्यादा लाभ भारतीय आईटी पेशेवर उठाते हैं। टीसीएस (TCS), इन्फोसिस (Infosys) और विप्रो (Wipro) जैसी दिग्गज भारतीय कंपनियां हर साल हजारों की संख्या में कर्मचारियों को इस वीजा के जरिए अमेरिका भेजती हैं। अदालत के इस फैसले के बाद:

  1. कंपनियों की लागत बढ़ेगी: वीजा फीस और सालाना शुल्क में राहत न मिलने से कंपनियों का ऑपरेशनल खर्च बढ़ेगा।
  2. हायरिंग पर प्रभाव: छोटी और मध्यम स्तर की टेक कंपनियां बढ़ी हुई फीस के कारण विदेशी प्रतिभाओं के बजाय स्थानीय संसाधनों को प्राथमिकता दे सकती हैं।
  3. प्रतिस्पर्धा: भारतीयों के लिए अमेरिका में नौकरी पाना अब और अधिक खर्चीला और चुनौतीपूर्ण हो सकता है।

आगे की राह

विशेषज्ञों का मानना है कि इस फैसले से अमेरिकी आव्रजन नीतियों के सख्त होने के संकेत मिलते हैं। जो कंपनियां H-1B वीजा पर निर्भर हैं, उन्हें अब अपनी बजटिंग और हायरिंग स्ट्रेटजी में बदलाव करना होगा। हालांकि, वीजा की मांग अभी भी उच्च स्तर पर बनी हुई है, लेकिन कानूनी बाधाओं और बढ़ते खर्च ने भविष्य की राह को थोड़ा कठिन बना दिया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *