कांग्रेस पार्टी के भीतर एक बार फिर वैचारिक मतभेद खुलकर सामने आ गए हैं। हाल ही में वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह द्वारा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के संदर्भ में की गई कुछ टिप्पणियों पर राहुल गांधी ने कड़ी आपत्ति जताई है। सूत्रों के अनुसार, राहुल गांधी ने स्पष्ट किया है कि RSS के प्रति पार्टी का रुख पूरी तरह स्पष्ट रहना चाहिए और इसमें किसी भी प्रकार की नरमी या प्रशंसा की गुंजाइश नहीं है।
क्या था मामला?
दरअसल, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह ने एक कार्यक्रम के दौरान कुछ ऐसे बयान दिए जिन्हें RSS की कार्यप्रणाली की प्रशंसा के रूप में देखा गया। दिग्विजय सिंह, जो अक्सर संघ के कट्टर आलोचक रहे हैं, उनके इस बदले हुए सुर ने राजनीतिक हलकों में हलचल पैदा कर दी थी।
राहुल गांधी की कड़ी प्रतिक्रिया
राहुल गांधी ने इस मामले में हस्तक्षेप करते हुए कहा कि कांग्रेस की विचारधारा और RSS की विचारधारा दो विपरीत ध्रुव हैं। उन्होंने दिग्विजय सिंह को टोकते हुए याद दिलाया कि संघ की प्रशंसा करना पार्टी के उन बुनियादी सिद्धांतों के खिलाफ है, जिनके लिए कांग्रेस लड़ रही है। राहुल गांधी का मानना है कि संघ के प्रति किसी भी प्रकार का सॉफ्ट कॉर्नर जनता के बीच गलत संदेश भेज सकता है, खासकर तब जब कांग्रेस देश भर में ‘नफरत के बाजार में मोहब्बत की दुकान’ खोलने का नैरेटिव सेट कर रही है।
कांग्रेस के अंदरूनी समीकरण
यह पहली बार नहीं है जब दिग्विजय सिंह और राहुल गांधी के बीच किसी मुद्दे पर असहमति दिखी हो, लेकिन विचारधारा के स्तर पर यह टोकना काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि राहुल गांधी अब पार्टी के भीतर एक सख्त वैचारिक लाइन खींचना चाहते हैं, जहाँ किसी भी नेता को संघ के प्रति नरम रुख अपनाने की इजाजत नहीं होगी।
बीजेपी का पलटवार
वहीं, बीजेपी ने इस स्थिति पर तंज कसते हुए कहा है कि कांग्रेस के भीतर लोकतंत्र खत्म हो चुका है और बड़े नेताओं को अपनी राय रखने की भी आजादी नहीं है। इस विवाद ने आगामी विधानसभा चुनावों और लोकसभा की तैयारियों के बीच कांग्रेस की आंतरिक एकजुटता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।