राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बिखेरा अपनी संस्कृति का जादू: संथाली गीत गाकर मोह लिया सबका मन

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बिखेरा अपनी संस्कृति का जादू: संथाली गीत गाकर मोह लिया सबका मन

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू अपने सादगी भरे अंदाज और जड़ों से जुड़ाव के लिए जानी जाती हैं। हाल ही में एक सार्वजनिक कार्यक्रम के दौरान उनकी एक बेहद खास और भावुक झलक देखने को मिली। राष्ट्रपति मुर्मू ने ‘ओल चिकी’ (Ol Chiki) लिपि समारोह में शिरकत की, जहाँ उन्होंने न केवल अपनी उपस्थिति दर्ज कराई, बल्कि मंच से एक पारंपरिक संथाली गीत गाकर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।

संस्कृति और भाषा का अनूठा सम्मान

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ओडिशा के मयूरभंज में आयोजित ओल चिकी लिपि के आविष्कारक पंडित रघुनाथ मुर्मू की जयंती और उससे जुड़े सांस्कृतिक उत्सव में शामिल होने पहुंची थीं। इस दौरान जब उन्होंने माइक संभाला, तो उन्होंने अपनी मातृभाषा संथाली में एक लोक गीत गुनगुनाया। उनके इस अंदाज ने वहां मौजूद हजारों लोगों का दिल जीत लिया। वीडियो में देखा जा सकता है कि राष्ट्रपति पूरी तन्मयता के साथ अपनी सांस्कृतिक विरासत का सम्मान कर रही हैं।

ओल चिकी लिपि का महत्व

ओल चिकी लिपि संथाली भाषा की आधिकारिक लिपि है। राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में इस बात पर जोर दिया कि अपनी भाषा और लिपि को बचाए रखना किसी भी समुदाय की पहचान के लिए कितना अनिवार्य है। उन्होंने युवाओं से अपनी जड़ों की ओर लौटने और अपनी पारंपरिक कला व संस्कृति पर गर्व करने का आह्वान किया। राष्ट्रपति का यह कदम आदिवासी गौरव और भाषाई विविधता को बढ़ावा देने की दिशा में एक बड़ा संदेश माना जा रहा है।

सोशल मीडिया पर वायरल हुआ वीडियो

राष्ट्रपति द्वारा गाए गए इस गीत का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। लोग राष्ट्रपति की सादगी और अपनी जड़ों के प्रति उनके अगाध प्रेम की जमकर तारीफ कर रहे हैं। राजनेताओं से लेकर आम जनता तक, हर कोई इस बात की सराहना कर रहा है कि देश के सर्वोच्च पद पर होने के बावजूद वे अपनी सांस्कृतिक पहचान को पूरी गरिमा के साथ प्रदर्शित करती हैं।

यह क्षण केवल एक गीत नहीं था, बल्कि भारत की ‘विविधता में एकता’ का एक जीवंत उदाहरण था, जो देश के अंतिम छोर तक अपनी संस्कृति को सहेजने की प्रेरणा देता है।

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