भारत अपनी रक्षा तैयारियों को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए तैयार है। रक्षा मंत्रालय (Ministry of Defence) ने भारतीय सशस्त्र बलों की परिचालन क्षमताओं को मजबूत करने के उद्देश्य से लगभग 80,000 करोड़ रुपये के बड़े रक्षा सौदों को हरी झंडी दे दी है। इस रक्षा अधिग्रहण परिषद (DAC) की बैठक में कई महत्वपूर्ण हथियारों और तकनीक की खरीद को मंजूरी दी गई, जो ‘आत्मनिर्भर भारत’ और सामरिक सुरक्षा की दिशा में एक बड़ा कदम है।
MQ-9B प्रीडेटर ड्रोन: आसमान से होगी पैनी नजर
इस सौदे का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा अमेरिका से खरीदे जाने वाले MQ-9B ‘सी गार्डियन’ और ‘स्काई गार्डियन’ प्रीडेटर ड्रोन हैं। ये उच्च-ऊंचाई वाले और लंबी दूरी तक मार करने वाले ड्रोन हैं, जो हिंद महासागर क्षेत्र और वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर निगरानी बढ़ाने में मदद करेंगे। ये ड्रोन न केवल जासूसी कर सकते हैं, बल्कि सटीक मिसाइल हमलों में भी सक्षम हैं।
MRSAM और अस्त्र मार्क-2: अभेद्य होगी सुरक्षा
हवाई सुरक्षा को और अधिक सुदृढ़ करने के लिए, मंत्रालय ने मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (MRSAM) प्रणाली के अधिग्रहण को मंजूरी दी है। यह दुश्मन के विमानों, मिसाइलों और ड्रोनों को हवा में ही मार गिराने में सक्षम है। इसके साथ ही, स्वदेशी ‘अस्त्र मार्क-2’ (Astra Mark-2) मिसाइलों की खरीद को भी मंजूरी मिली है। यह बियॉन्ड विजुअल रेंज (BVR) मिसाइल है, जो भारतीय वायुसेना के लड़ाकू विमानों की मारक क्षमता को कई गुना बढ़ा देगी।
स्वदेशी रक्षा उत्पादन पर जोर
इस मेगा डील की खास बात यह है कि इसमें बड़ी संख्या में उपकरण स्वदेशी स्रोतों से खरीदे जाएंगे। यह कदम घरेलू रक्षा उद्योग को बढ़ावा देने और विदेशी निर्भरता को कम करने के सरकार के लक्ष्य के अनुरूप है। 80,000 करोड़ रुपये के इस निवेश से न केवल सेनाएं आधुनिक होंगी, बल्कि देश के रक्षा अनुसंधान और विनिर्माण क्षेत्र में भी नई जान आएगी।
विशेषज्ञों का मानना है कि इन हथियारों के शामिल होने से चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसियों के साथ जुड़ी सुरक्षा चुनौतियों से निपटने में भारत की स्थिति और अधिक मजबूत होगी।