देश के प्रमुख शहरों में आज ऑनलाइन फूड और ग्रोसरी डिलीवरी सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। जोमैटो (Zomato), स्विगी (Swiggy) और ब्लिंकिट (Blinkit) जैसे बड़े प्लेटफॉर्म्स के हजारों ‘गिग वर्कर्स’ (Delivery Partners) अपनी मांगों को लेकर एक दिवसीय हड़ताल पर चले गए हैं। इस विरोध प्रदर्शन के कारण ग्राहकों को लंबी प्रतीक्षा अवधि और ‘सर्विस अनअवेलेबल’ जैसे मैसेज का सामना करना पड़ रहा है।
क्यों हो रहा है विरोध प्रदर्शन?
हड़ताल कर रहे डिलीवरी पार्टनर्स का आरोप है कि कंपनियां लगातार उनके कमीशन और पे-आउट स्ट्रक्चर में कटौती कर रही हैं। प्रदर्शनकारियों की मुख्य मांगें निम्नलिखित हैं:
- बेस पे में बढ़ोतरी: पेट्रोल की बढ़ती कीमतों और महंगाई को देखते हुए डिलीवरी के लिए मिलने वाले न्यूनतम शुल्क को बढ़ाया जाए।
- काम के घंटों का निर्धारण: सुरक्षा और स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए काम के घंटों को नियमित किया जाए।
- बीमा और सुरक्षा: दुर्घटना की स्थिति में बेहतर चिकित्सा बीमा और परिवार के लिए सुरक्षा कवर सुनिश्चित हो।
- ब्लॉकिंग पॉलिसी में सुधार: बिना किसी ठोस कारण के आईडी ब्लॉक करने की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया जाए।
कंपनियों और ग्राहकों पर असर
इस हड़ताल का सबसे ज्यादा असर दिल्ली-एनसीआर, मुंबई और बेंगलुरु जैसे महानगरों में देखा जा रहा है। कई इलाकों में ब्लिंकिट के डार्क स्टोर्स बंद पड़े हैं, वहीं जोमैटो और स्विगी पर ऑर्डर लेने के लिए डिलीवरी पार्टनर्स की भारी कमी है। गिग वर्कर्स यूनियंस का कहना है कि यदि उनकी मांगों पर जल्द विचार नहीं किया गया, तो वे इस आंदोलन को और उग्र करेंगे और अनिश्चितकालीन हड़ताल पर भी जा सकते हैं।
कंपनियों की ओर से फिलहाल इस मामले पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन वे बैक-एंड ऑपरेशंस के जरिए स्थिति को संभालने की कोशिश कर रही हैं। यह घटनाक्रम भारत में तेजी से बढ़ रहे गिग इकोनॉमी सेक्टर में श्रमिकों के अधिकारों और उनके शोषण के मुद्दों को एक बार फिर चर्चा में ले आया है।