
सुकमा – छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में हाल ही में हुई मुठभेड़ में सुरक्षा बलों ने 10 नक्सलियों को मार गिराया। इस कार्रवाई के बाद नक्सलियों ने सरकार से शांति वार्ता की इच्छा जताई है, लेकिन इसके लिए उन्होंने कुछ शर्तें भी रखी हैं।
नक्सलियों के दंडकारण्य विशेष क्षेत्रीय समिति के प्रवक्ता ‘विकल्प’ द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि वे शांति वार्ता के लिए तैयार हैं, बशर्ते सरकार एक अनुकूल वातावरण बनाए। उनकी प्रमुख मांगों में शामिल हैं: आदिवासियों पर अत्याचार और फर्जी मुठभेड़ों को रोकना, आदिवासी क्षेत्रों में सैन्यीकरण को समाप्त करना, सुरक्षा बलों की वापसी, और कॉर्पोरेट समझौतों को रद्द करना।
इसके अतिरिक्त, उन्होंने किसानों के लिए कर्ज माफी, कृषि सब्सिडी में वृद्धि, मुफ्त सिंचाई और बिजली, मुफ्त शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा, और रोजगार जैसी कल्याणकारी योजनाओं की मांग की है। वे चाहते हैं कि सभी आदिवासी बोलियों को प्राथमिक विद्यालयों में पढ़ाया जाए और जनगणना में आदिवासियों के लिए एक अलग श्रेणी बनाई जाए।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने पहले कहा था कि नक्सलियों के साथ वार्ता केवल तभी संभव है जब वे संविधान में विश्वास जताएं। उन्होंने यह भी कहा कि राज्य सरकार नक्सलवाद के प्रति ‘शून्य सहिष्णुता’ की नीति अपना रही है और 2026 तक नक्सलियों का पूरी तरह से सफाया करने का लक्ष्य है।
इस बीच, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी सभी सुरक्षा एजेंसियों से मार्च 2026 तक नक्सलवाद को समाप्त करने के लिए संयुक्त प्रयास करने का आह्वान किया है।
नक्सलियों की यह शांति वार्ता की पेशकश ऐसे समय में आई है जब सुरक्षा बलों ने उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की है। अब देखना यह होगा कि सरकार इन शर्तों पर क्या प्रतिक्रिया देती है और क्या शांति वार्ता की प्रक्रिया आगे बढ़ती है।