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DGMO वार्ता से पहले पीएम मोदी की बड़ी रणनीतिक बैठक, सीमा सुरक्षा पर हुआ व्यापक मंथन

DGMO वार्ता से पहले पीएम मोदी की बड़ी रणनीतिक बैठक, सीमा सुरक्षा पर हुआ व्यापक मंथन

भारत-पाकिस्तान DGMO स्तर की अहम वार्ता से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज सुबह एक उच्चस्तरीय सुरक्षा बैठक बुलाई, जिसमें देश की सुरक्षा व्यवस्था, सीमा पर तनावपूर्ण स्थिति और संभावित खतरों को लेकर गहन चर्चा हुई। यह बैठक प्रधानमंत्री आवास पर आयोजित की गई, जिसमें देश के शीर्ष सुरक्षा और सैन्य अधिकारी मौजूद रहे।

बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी, वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह, नौसेना प्रमुख एडमिरल डीके त्रिपाठी, रॉ के प्रमुख और खुफिया ब्यूरो के प्रमुख सहित सभी प्रमुख अधिकारी शामिल हुए।

प्रधानमंत्री मोदी ने इस बैठक में सीमा पर हो रहे लगातार संघर्षविराम उल्लंघनों और ड्रोन घुसपैठ जैसी घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए स्पष्ट किया कि देश की सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा। उन्होंने सभी सेनाओं को पूरी सतर्कता बरतने और किसी भी प्रकार की उकसावे की कार्रवाई का मुंहतोड़ जवाब देने का निर्देश दिया।

बैठक के दौरान इस बात पर भी चर्चा हुई कि भारत और पाकिस्तान के बीच DGMO स्तर की जो वार्ता निर्धारित है, उसमें भारत की ओर से किन बिंदुओं को प्रमुखता दी जाए। उद्देश्य यह है कि सीमा पर स्थायी शांति स्थापित हो और आम नागरिकों का जीवन सुरक्षित बना रहे।

इस रणनीतिक बैठक का समय और स्वरूप यह दर्शाता है कि भारत सरकार सीमा की स्थिति को लेकर पूरी तरह गंभीर है और हर मोर्चे पर तैयार है। उम्मीद की जा रही है कि DGMO स्तर की वार्ता में भारत की ओर से कड़ा और स्पष्ट रुख सामने रखा जाएगा ताकि भविष्य में किसी भी प्रकार की सीमा उल्लंघन की घटनाओं पर प्रभावी रोक लगाई जा सके।

बैठक के बाद यह भी संकेत मिल रहे हैं कि हाल ही में चलाए गए ऑपरेशन ‘सिंदूर’ से जुड़ी जानकारी और आगामी कदमों को लेकर सेना की ओर से एक औपचारिक ब्रीफिंग की जा सकती है।

यह बैठक ऐसे समय पर हुई है जब सीमा की स्थिति नाजुक बनी हुई है और पाकिस्तान की ओर से बार-बार हो रहे उल्लंघनों के कारण भारत को रणनीतिक और सामरिक दोनों मोर्चों पर सख्ती से कदम उठाने की आवश्यकता महसूस हो रही है। सरकार की यह सक्रियता संकेत देती है कि भारत किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है और शांति के साथ-साथ सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रहा है।

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