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आईआईटी इंदौर का कमाल: पानी और वाष्पीकरण से बनेगी बिजली

आईआईटी इंदौर का कमाल: पानी और वाष्पीकरण से बनेगी बिजली

इंदौर: भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) इंदौर के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा क्रांतिकारी उपकरण विकसित किया है जो पानी के वाष्पीकरण से बिजली पैदा कर सकता है। यह तकनीक स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में एक नई दिशा खोल सकती है, खासकर उन दूर-दराज के इलाकों के लिए जहां बिजली की पहुंच मुश्किल है।

इस उपकरण को संस्थान की ‘सस्टेनेबल एनर्जी एंड एन्वायरन्मेंटल मटेरियल्स लैब’ में तैयार किया गया है। इसका मुख्य घटक ग्रैफीन ऑक्साइड और ज़िंक-इमिडाज़ोल से बना एक खास मेम्ब्रेन है। यह मेम्ब्रेन जल वाष्पीकरण की प्राकृतिक प्रक्रिया का उपयोग करता है। जब इसे आंशिक रूप से पानी में डुबोया जाता है, तो पानी का वाष्पीकरण शुरू होता है। इस प्रक्रिया में मेम्ब्रेन के दोनों सिरों पर पॉजिटिव और नेगेटिव आयन अलग-अलग हो जाते हैं, जिससे स्थिर बिजली उत्पन्न होती है।

इस तकनीक की सबसे खास बात यह है कि यह किसी भी तरह के पानी में काम कर सकती है, चाहे वह साफ हो, खारा हो या गंदा। परीक्षणों में यह पाया गया कि सिर्फ 3×2 सेंटीमीटर के एक छोटे से मेम्ब्रेन से 0.75 वोल्ट तक बिजली पैदा की जा सकती है। इसके अलावा, ऐसे कई मेम्ब्रेन को एक साथ जोड़कर बिजली की मात्रा को आसानी से बढ़ाया जा सकता है।

यह उपकरण अपने हल्के और पोर्टेबल डिजाइन के कारण विशेष रूप से उपयोगी है। यह दिन-रात और घर के अंदर या बाहर, किसी भी स्थान पर काम कर सकता है। आईआईटी इंदौर के निदेशक प्रोफेसर सुहास जोशी और इस शोध का नेतृत्व कर रहे प्रोफेसर धीरेंद्र राय का मानना है कि यह तकनीक ग्रामीण और पिछड़े इलाकों के लोगों के जीवन को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। यह स्वच्छ ऊर्जा का एक टिकाऊ और पर्यावरण-अनुकूल स्रोत प्रदान करती है।

फिलहाल, शोध टीम इस तकनीक को और अधिक किफायती और बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए उपयुक्त बनाने पर काम कर रही है। भविष्य में इस उपकरण का उपयोग सिर्फ बिजली उत्पादन तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसे ऊर्जा पैदा करने वाले स्मार्ट कपड़ों या खुद से चलने वाली दीवारों जैसी अभिनव तकनीकों में भी एकीकृत किया जा सकता है। यह खोज न केवल वैज्ञानिक उपलब्धि है, बल्कि यह भविष्य की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम भी है।

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