छत्तीसगढ़

अंबेडकर अस्पताल की बड़ी रिसर्च: कोविड-19 की गंभीरता का अनुमान लगाने वाला बायोमार्कर किट विकसित

रायपुर, छत्तीसगढ़: डॉ. भीमराव अंबेडकर अस्पताल के मल्टी-डिसिप्लिनरी रिसर्च यूनिट (एमआरयू) की वैज्ञानिक टीम ने एक महत्वपूर्ण बायोमार्कर किट विकसित की है, जो कोविड-19 संक्रमण की गंभीरता का प्रारंभिक चरण में ही अनुमान लगा सकता है। यह किट कोरोना महामारी के प्रबंधन में एक महत्वपूर्ण उपकरण साबित हो सकता है, जिससे भविष्य में महामारी जैसी स्थितियों का सामना किया जा सकेगा।

शोध के परिणाम और वैज्ञानिक योगदान

इस शोध के परिणाम हाल ही में प्रतिष्ठित विज्ञान पत्रिका साइंटिफिक रिपोर्ट्स में प्रकाशित हुए हैं, जो दुनिया के शीर्ष पांच सबसे अधिक संदर्भित रिसर्च जर्नल्स में से एक है। इस शोध का नेतृत्व डॉ. जगन्नाथ पाल ने किया, जो एमआरयू के वरिष्ठ वैज्ञानिक हैं और हार्वर्ड कैंसर संस्थान से पोस्टडॉक की उपाधि प्राप्त हैं।

बायोमार्कर किट के विकास की प्रक्रिया

डॉ. पाल और उनकी टीम ने तीन साल की कड़ी मेहनत के बाद इस बायोमार्कर किट को विकसित किया, जो प्रारंभिक चरण में ही कोविड-19 रोगियों की गंभीरता का अनुमान लगाने में सक्षम है। इस किट के जरिए संसाधनों और एंटी-वायरस दवाओं का उपयोग गंभीर रोगियों के लिए किया जा सकेगा, जिससे जीवन रक्षक दवाओं का संकट कम होगा।

पेटेंट और अंतर्राष्ट्रीय महत्व

इस आविष्कार के व्यावसायिक मूल्य को देखते हुए पं. जे.एन.एम मेडिकल कॉलेज ने भारतीय और अंतर्राष्ट्रीय पेटेंट के लिए आवेदन किया है। अमेरिका की पेटेंट सर्च एजेंसी ने भी इस आविष्कार को उत्साहजनक बताया है, जिससे भारत को चिकित्सा प्रौद्योगिकी के निर्यात में लाभ मिल सकता है। यह आविष्कार प्रधानमंत्री के ‘मेक इन इंडिया’ अभियान को भी समर्थन देगा।

प्रेरणादायक सफलता

इस शोध की सफलता संसाधन सीमित केंद्रों में काम कर रहे कई शोधकर्ताओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सकती है। पं. जे.एन.एम मेडिकल कॉलेज की यह उपलब्धि साबित करती है कि एक राज्य संचालित मेडिकल कॉलेज भी समय की आवश्यकता को पूरा करने के लिए अत्याधुनिक मेडिकल टेक्नोलॉजी विकसित कर सकता है और इसके व्यावसायीकरण में भी महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है।

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