
बिलासपुर – छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने रायपुर स्थित पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलसचिव शैलेन्द्र पटेल की नियुक्ति को अवैध करार दिया है। न्यायालय ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि पटेल इस पद के लिए आवश्यक शैक्षणिक और प्रशासनिक योग्यता नहीं रखते, इसलिए उनकी नियुक्ति विश्वविद्यालय अधिनियम और नियमानुसार सही नहीं मानी जा सकती।
यह मामला तब सामने आया जब वर्ष 2022 में एक याचिकाकर्ता ने पटेल की नियुक्ति को चुनौती देते हुए कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया कि कुलसचिव पद एक संवैधानिक और अत्यधिक जिम्मेदारी वाला पद है, जिसके लिए उच्च स्तर की योग्यता और अनुभव अनिवार्य है, जबकि पटेल इन मापदंडों पर खरे नहीं उतरते।
कोर्ट ने सुनवाई के बाद यह फैसला सुनाया कि पटेल की नियुक्ति प्रक्रिया नियमों के अनुरूप नहीं थी और इससे विश्वविद्यालय की गरिमा और निष्पक्षता पर भी प्रश्नचिन्ह लगता है। साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसे पदों पर योग्य और अनुभवी व्यक्तियों की नियुक्ति आवश्यक है, जिससे संस्थान की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता बनी रहे।
इस फैसले के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन पर एक बार फिर से जिम्मेदारी आ गई है कि वह नए प्रभारी कुलसचिव की नियुक्ति पूर्ण रूप से नियमों और योग्यता के आधार पर करे। यह निर्णय न केवल विश्वविद्यालय के लिए, बल्कि राज्य के अन्य शैक्षणिक संस्थानों के लिए भी एक दिशा-निर्देशक बन सकता है।
निष्कर्ष :-
उच्च न्यायालय का यह फैसला शिक्षा व्यवस्था में योग्यता और पारदर्शिता की आवश्यकता को फिर से रेखांकित करता है। इससे यह स्पष्ट संदेश जाता है कि किसी भी उच्च पद पर नियुक्ति नियमों और मानकों के अनुरूप ही होनी चाहिए, ताकि शैक्षणिक संस्थानों की साख बनी रहे।