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छत्तीसगढ़ के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की मनमानी, अमोरा स्कूल में ताले में बंद भविष्य

छत्तीसगढ़ सरकार सरकारी स्कूलों की बदहाली सुधारने के लिए कई योजनाएं चला रही है, लेकिन शिक्षकों की गैरहाजिरी और लापरवाही के कारण छात्रों का भविष्य अंधकार में जा रहा है।

कवर्धा: छत्तीसगढ़ सरकार सरकारी स्कूलों की बदहाली सुधारने के लिए कई योजनाएं चला रही है, लेकिन शिक्षकों की गैरहाजिरी और लापरवाही के कारण छात्रों का भविष्य अंधकार में जा रहा है। कवर्धा जिले के पंडरिया वनांचल क्षेत्र स्थित शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय अमोरा में शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह चरमराई हुई है।

स्कूल में ताला, शिक्षक नदारद, छात्र परेशान

अमोरा गांव के इस सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले छात्र और उनके अभिभावक बेहद नाराज हैं। स्कूल में चार शिक्षक पदस्थ हैं, लेकिन तीन शिक्षक लंबे समय से ड्यूटी से गायब हैं। इनमें से एक शिक्षक पिछले एक साल से छुट्टी पर है, जबकि दो शिक्षक 23 जनवरी से स्कूल नहीं आ रहे। सिर्फ प्रधान पाठक स्कूल आते हैं, लेकिन छात्रों को पढ़ाने के बजाय अन्य गतिविधियों में व्यस्त रहते हैं।

अभिभावकों का गुस्सा, प्रधान पाठक पर दादागिरी के आरोप

छात्रों का कहना है कि परीक्षा नजदीक है, लेकिन शिक्षकों की गैरमौजूदगी के कारण उनकी पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हो रही है। अभिभावकों ने प्रधान पाठक पर शिक्षकों को धमकाने और स्कूल से दूर रखने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि प्रधान पाठक की मनमानी के कारण अन्य शिक्षक स्कूल नहीं आते, जिससे बच्चों की शिक्षा पूरी तरह ठप हो गई है।

जिम्मेदारों का क्या कहना है?

मामले को गंभीरता से लेते हुए क्षेत्रीय विधायक ने शिक्षकों की गैरमौजूदगी पर नाराजगी जताई और कहा कि स्कूल में जल्द ही शिक्षकों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी। जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) ने आश्वासन दिया कि प्रधान पाठक को हटाया जाएगा और अनुपस्थित शिक्षकों को स्कूल ज्वाइन करने का निर्देश दिया गया है। इसके साथ ही एक अक शाला संगवारी शिक्षक की तैनाती का आदेश भी जारी किया गया है।

सरकारी स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था पर सवाल

अमोरा स्कूल का मामला छत्तीसगढ़ में सरकारी शिक्षा प्रणाली की बदहाल स्थिति को उजागर करता है। कई स्कूलों में शिक्षकों की कमी, मनमानी और प्रशासनिक उदासीनता से छात्रों का भविष्य प्रभावित हो रहा है।

क्या यह शिक्षा व्यवस्था में सुधार का वक्त नहीं?

सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की जवाबदेही और प्रशासनिक सख्ती क्यों नहीं बढ़ाई जा रही? अभिभावकों और छात्रों के साथ न्याय कैसे होगा? आपकी राय क्या है

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