भारत की दूसरी परमाणु पनडुब्बी ‘अरिघात’ तैयार, हिंद महासागर में नेवी की ताकत को मिलेगी नई उड़ान
अरिघात: भारत की नई परमाणु शक्ति
नई दिल्ली। भारत की दूसरी परमाणु पनडुब्बी, अरिघात (Arighat Nuclear Submarine), अब पूरी तरह से तैयार है और जल्द ही भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल की जाएगी। 2017 में लॉन्च की गई इस पनडुब्बी का निर्माण विशाखापट्टनम के भारतीय नौसेना शिप बिल्डिंग सेंटर (SBC) में किया गया है। यह INS अरिहंत का एडवांस्ड वर्जन है और इसमें कई अत्याधुनिक फीचर्स शामिल किए गए हैं।
INS अरिघात: पावर और प्रोटेक्शन का संगम
अरिघात पनडुब्बी में 750 किलोमीटर की रेंज वाली K-15 मिसाइलें भी शामिल हैं, जो इसे और भी ताकतवर बनाती हैं। इसका वजन 60 हजार क्विंटल है, जिससे यह पनडुब्बी और भी मजबूत और सुरक्षित है। यह पनडुब्बी भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि है, जो देश की समुद्री रक्षा को नई दिशा देगी।
भारतीय नौसेना की परमाणु पनडुब्बियों का सफर
INS अरिघात भारतीय नौसेना की दूसरी परमाणु पनडुब्बी है। इससे पहले भारतीय नौसेना ने अपनी पहली परमाणु पनडुब्बी INS अरिहंत को 2016 में शामिल किया था। तीसरी पनडुब्बी S3 का परीक्षण फिलहाल चल रहा है। इन पनडुब्बियों का मुख्य उद्देश्य दुश्मन देशों पर परमाणु मिसाइलें दागने की क्षमता प्रदान करना है, जिससे भारत की सुरक्षा और भी मजबूत होती है।
परमाणु पनडुब्बियों के क्षेत्र में भारत का स्थान
दुनिया में बहुत कम देशों के पास परमाणु पनडुब्बियां हैं। इनमें अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस, और ब्रिटेन शामिल हैं। इन देशों के पास कुल मिलाकर 100 से अधिक परमाणु पनडुब्बियां हैं। भारत, अब तीन परमाणु पनडुब्बियों के साथ, इस क्षेत्र में दुनिया में छठे स्थान पर है।
INS अरिघात के प्रमुख फीचर्स
- भारतीय निर्माण: INS अरिघात, अरिहंत क्लास की पनडुब्बी है, जिसे पूरी तरह से भारत में तैयार किया गया है।
- भारी वजन: इसका वजन लगभग 6,000 टन है, और इसकी लंबाई 111.6 मीटर, चौड़ाई 11 मीटर, और ऊंचाई 9.5 मीटर है।
- मिसाइल रेंज: यह 750 किमी की रेंज वाली K-15 बैलिस्टिक मिसाइलों से लैस है।
- स्पीड: समुद्र की सतह पर यह 12 से 15 समुद्री मील प्रति घंटे की स्पीड से चल सकती है, जबकि पानी के भीतर इसकी स्पीड 24 समुद्री मील प्रति घंटे है।
- अत्याधुनिक तकनीक: इसमें सोनार कम्युनिकेशन सिस्टम, समुद्री मिसाइलें, और एंटी रेडिएशन सिक्योरिटी अरेंजमेंट शामिल हैं।
- सफल परीक्षण: इस पनडुब्बी के समुद्री परीक्षण कई चरणों में सफलतापूर्वक किए गए हैं।
- रक्षा की नई परिभाषा: यह पनडुब्बी भारत की समुद्री सुरक्षा को मजबूत करने के साथ-साथ चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों के खिलाफ एक मजबूत रक्षा तंत्र के रूप में काम करेगी।