अरविंद केजरीवाल को जमानत: जस्टिस भुइयां ने दी CBI की कार्यप्रणाली पर अहम टिप्पणी
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को 13 अगस्त 2024 को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली, जब उन्हें दिल्ली शराब नीति से जुड़े CBI केस में गिरफ्तार किया गया था।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को 13 अगस्त 2024 को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिली, जब उन्हें दिल्ली शराब नीति से जुड़े CBI केस में गिरफ्तार किया गया था। इस मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस भुइयां ने CBI की गिरफ्तारी पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि “CBI की गिरफ्तारी केवल ईडी मामले में केजरीवाल की जमानत में बाधा डालने के लिए की गई हो सकती है।”
CBI को पिंजरे का तोता नहीं बनाना चाहिए
जस्टिस भुइयां ने अपने फैसले में कहा कि CBI को पिंजरे में बंद तोते की तरह काम नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा, “गिरफ्तारी की ताकत का इस्तेमाल बहुत सोच-समझकर किया जाना चाहिए। जमानत नियम है और जेल अपवाद। अगर किसी व्यक्ति को बेवजह जेल में रखा जाता है, तो यह न्याय का मजाक है।”
गिरफ्तारी की वैधता पर सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल की गिरफ्तारी के तरीके और समय पर सवाल उठाए। जस्टिस भुइयां ने कहा, “असहयोग का मतलब यह नहीं है कि व्यक्ति दोषी है। इसलिए इस आधार पर गिरफ्तारी अस्वीकार्य है।” कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अभियोजन और मुकदमे की प्रक्रिया अपने आप में सजा का रूप नहीं लेनी चाहिए।
अन्य मामलों में हिरासत में लेना गलत नहीं
जस्टिस सूर्यकांत ने फैसले में कहा कि मजिस्ट्रेट की अनुमति से अन्य मामलों में हिरासत में लेना गलत नहीं है। उन्होंने इस बात पर भी चर्चा की कि चार्जशीट दाखिल होने के बाद केस में क्या बदलाव आया है।