अतुल सुभाष सुसाइड केस: पत्नी समेत 4 पर FIR, ‘Justice’ की मांग ने देश को झकझोरा
बेंगलुरु में कार्यरत 34 वर्षीय AI इंजीनियर अतुल सुभाष की खुदकुशी का मामला देशभर में चर्चा का विषय बन गया है। उनकी आत्महत्या ने न्याय व्यवस्था, पारिवारिक विवाद और समाज की जटिलताओं को लेकर कई गंभीर सवाल खड़े किए हैं। मामले में अतुल की पत्नी निकिता सिंघानिया और ससुराल के अन्य सदस्यों पर FIR दर्ज की गई है।
घटना की पृष्ठभूमि
अतुल सुभाष ने अपने जीवन का अंत करने से पहले 24 पन्नों का सुसाइड नोट और 1 घंटे 20 मिनट का वीडियो छोड़ा। इन दस्तावेजों में उन्होंने अपनी पत्नी, ससुराल वालों और न्यायिक व्यवस्था पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने बताया कि उनकी पत्नी ने तलाक सेटलमेंट के लिए ₹1 करोड़ मांगे, जो बाद में ₹3 करोड़ तक बढ़ा दिए गए। इसके अलावा, झूठे दहेज उत्पीड़न और अप्राकृतिक यौन शोषण के आरोपों से भी उन्हें प्रताड़ित किया गया।
FIR दर्ज, जांच शुरू
बेंगलुरु पुलिस ने निकिता सिंघानिया, सास निशा सिंघानिया, चाचा ससुर सुशील सिंघानिया, और साले अनुराग सिंघानिया के खिलाफ FIR दर्ज कर भारतीय न्याय संहिता की धारा 108 और धारा 3(5) के तहत मामला दर्ज किया।
ज्यूडिशियरी पर गंभीर आरोप
अतुल ने जौनपुर की फैमिली कोर्ट की महिला जज पर रिश्वत लेने और मामले को अनावश्यक रूप से खींचने का आरोप लगाया। वीडियो में उन्होंने कहा कि जज ने उनसे ₹5 लाख की रिश्वत मांगी और उनकी पत्नी द्वारा आत्महत्या के लिए उकसाने वाले बयान पर हंसकर टाल दिया।
120 सुनवाई, 40 बार कोर्ट में हाजिरी
अतुल के अनुसार, तलाक के मामले में उन्हें 120 तारीखें दी गईं और 40 बार बेंगलुरु से जौनपुर आना पड़ा। उन्होंने कहा कि नौकरी के साथ यह संभव नहीं था और इस प्रक्रिया ने उन्हें मानसिक और आर्थिक रूप से बर्बाद कर दिया।
आखिरी इच्छा और संदेश
अतुल ने कहा कि उनकी अस्थियां तब तक विसर्जित न की जाएं जब तक दोषियों को सजा न मिल जाए। उन्होंने अपने बेटे के लिए एक गिफ्ट छोड़ा है, जिसे वह 2038 में खोल सके। साथ ही उन्होंने एक टी-शर्ट पहन रखी थी जिस पर लिखा था “Justice Is Due”।
मामले का महत्व
यह घटना न केवल पारिवारिक विवाद की जटिलताओं को उजागर करती है, बल्कि न्यायिक व्यवस्था और सामाजिक मुद्दों पर भी सवाल खड़े करती है।