“बस्तर राइजिंग” अभियान 8 अक्टूबर से शुरू, राष्ट्रीय मंच पर दिखेगी बस्तर की अनूठी संस्कृति और क्षमताएँ

रायपुर। छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और युवा प्रतिभाओं को राष्ट्रीय पहचान दिलाने के उद्देश्य से एक विशेष अभियान ‘बस्तर राइजिंग’ की शुरुआत होने जा रही है। छत्तीसगढ़ शासन के जनसंपर्क विभाग और बस्तर संभाग के सभी जिलों के जिला प्रशासन के संयुक्त प्रयासों से यह दो सप्ताह लंबा अभियान 8 अक्टूबर से शुरू होगा। इसका मुख्य लक्ष्य बस्तर की सांस्कृतिक, पर्यावरणीय और उद्यमशील क्षमताओं को देशव्यापी स्तर पर प्रदर्शित करना है।

इस अभियान के दौरान बस्तर संभाग के सातों जिलों में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इन कार्यक्रमों में विशेषज्ञ, युवा, शिल्पकार और स्थानीय समुदायों के बीच संवाद, कार्यशालाएं और सांस्कृतिक प्रस्तुतियां शामिल होंगी। इसका उद्देश्य बस्तर की समृद्ध कला, हस्तशिल्प, कृषि, पर्यटन, खेल और शिक्षा से जुड़ी व्यापक संभावनाओं को उजागर करना है।

‘बस्तर राइजिंग’ का यह कारवां केशकाल, नारायणपुर, कोण्डागांव, सुकमा, दंतेवाड़ा, बीजापुर, चित्रकोट, बारसूर और जगदलपुर जैसे महत्वपूर्ण स्थानों का भ्रमण करेगा। इस दौरान, प्रत्येक जिले में स्थानीय प्रतिभाओं और उद्यमियों को अपनी क्षमताओं और नवाचारों को एक राष्ट्रीय मंच पर प्रदर्शित करने का अवसर मिलेगा।

इस पूरे अभियान का समापन राजधानी रायपुर में एक भव्य उत्सव ‘हार्मोनी फेस्ट 2025’ के रूप में किया जाएगा। इस समापन समारोह में बस्तर की प्रेरक कहानियों, नवाचारों और सदियों पुरानी सांस्कृतिक विरासत का संपूर्ण प्रदर्शन होगा। इस विशेष आयोजन की थीम “दिल मेला – दिल में ला” रखी गई है, जिसका मकसद बस्तर की अनोखी सांस्कृतिक पहचान को देशभर में लोकप्रिय बनाना है।

जनसंपर्क विभाग ने बताया है कि यह पहल न केवल बस्तर की सांस्कृतिक धरोहर और युवा प्रतिभाओं को पहचान दिलाएगी, बल्कि यह क्षेत्र में पर्यटन और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में भी महत्वपूर्ण साबित होगी।

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