बिहार में नीतीश कुमार के विकल्प की जंग: प्रशांत किशोर और तेजस्वी यादव की सियासी भिड़ंत
बिहार की सियासत में एक नई गहमागहमी शुरू हो गई है, जिसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के विकल्प के तौर पर प्रशांत किशोर (पीके) और तेजस्वी यादव के बीच खुली जंग छिड़ी हुई है
पटना – बिहार की सियासत में एक नई गहमागहमी शुरू हो गई है, जिसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के विकल्प के तौर पर प्रशांत किशोर (पीके) और तेजस्वी यादव के बीच खुली जंग छिड़ी हुई है। अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले इन दोनों नेताओं ने खुद को बिहार के भविष्य के चेहरे के रूप में प्रस्तुत किया है।
नीतीश कुमार का विकल्प कौन होगा?
नीतीश कुमार ने पिछले चुनाव में यह ऐलान किया था कि यह उनका अंतिम चुनाव है, हालांकि 2025 के चुनाव में उनकी उपस्थिति पर अभी तक कोई स्पष्टता नहीं है। इस अनिश्चितता का फायदा उठाने के लिए, विपक्षी खेमे में तेजस्वी यादव और प्रशांत किशोर ने अपनी-अपनी रणनीतियाँ तैयार की हैं।
1. नीतीश का विकल्प
प्रशांत किशोर ने हाल ही में एक बड़ा बयान देते हुए कहा कि यदि उनकी सरकार आई, तो वे पहले घंटे में बिहार से शराबबंदी समाप्त कर देंगे। यह बयान उनके संकल्प और दृढ़ता को दर्शाता है। दूसरी ओर, तेजस्वी यादव ने मुफ्त बिजली का वादा किया है, जिससे जातीय जनगणना जैसे मुद्दों को ध्यान में रखते हुए मतदाताओं को लुभाने का प्रयास किया जा रहा है।
2. जननेता की भूमिका
नीतीश कुमार की सरकार की छवि एक ऐसे नेता की रही है जो जनता की समस्याओं को समझता है। अब तेजस्वी यादव और प्रशांत किशोर के बीच जननेता बनने की दौड़ चल रही है। प्रशांत किशोर ने पदयात्रा के दौरान आम जनता के मुद्दों को उजागर किया है, जबकि तेजस्वी यादव अपनी हरकतों और भाषणों के माध्यम से खुद को जनता के बीच का नेता साबित कर रहे हैं।
3. युवा आइकॉन
तेजस्वी यादव ने शिक्षक भर्ती को अपनी प्रमुख उपलब्धि के रूप में पेश किया है और इसे ‘रोजगार पुरुष’ की छवि बनाने की कोशिश की है। वहीं, प्रशांत किशोर भी युवाओं को रोजगार के अवसर देने का वादा कर रहे हैं और पलायन की समस्या को समाप्त करने का संकल्प ले रहे हैं।
4. वोटबैंक के विस्तार की लड़ाई
बिहार में जातीय गणित और वर्गीय समीकरण महत्वपूर्ण हैं। नीतीश कुमार ने महिला वोटबैंक को आकर्षित करने के लिए मुफ्त साइकिल और शराबबंदी जैसे कदम उठाए। तेजस्वी यादव ने युवा और गरीब वर्ग को अपना मुख्य लक्ष्य बनाया है, वहीं प्रशांत किशोर प्रबुद्ध वर्ग के साथ-साथ गरीब और दलित वर्ग को भी अपने पक्ष में लाने की कोशिश कर रहे हैं।
5. विरासत बनाम आम
प्रशांत किशोर ने परिवारवाद पर निशाना साधते हुए खुद को संघर्ष और मेहनत का प्रतीक बताया है। उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की तुलना शाहरुख़ खान से की, जबकि तेजस्वी यादव की राजनीति का आधार उनके परिवार की विरासत पर है। यह विरासत उन्हें एक सियासी लाभ देती है, लेकिन इसके साथ ही कुछ चुनौतियों का सामना भी करना पड़ता है।