कांग्रेस को बड़ा झटका: रिसाली नगर निगम में MIC सदस्य सीमा साहू भाजपा में शामिल, महापौर से नाराजगी बनी वजह
कांग्रेस को बड़ा झटका: रिसाली नगर निगम में MIC सदस्य सीमा साहू भाजपा में शामिल, महापौर से नाराजगी बनी वजह

दुर्ग, छत्तीसगढ़। रिसाली नगर पालिक निगम में कांग्रेस पार्टी को एक और बड़ा झटका लगा है। महापौर परिषद (MIC) की सदस्य और महिला एवं बाल विकास विभाग की प्रभारी सीमा साहू ने कांग्रेस का दामन छोड़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का हाथ थाम लिया है। यह घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है, जब कुछ समय पहले ही कांग्रेस के चार अन्य पार्षद भी महापौर से कथित नाराजगी के चलते भाजपा में शामिल हो चुके हैं, जिसने कांग्रेस की स्थानीय इकाई में बेचैनी बढ़ा दी है।
सीमा साहू का राजनीतिक कद और कांग्रेस से मोहभंग
सीमा साहू वार्ड 28 की पार्षद थीं और रिसाली नगर निगम की महत्वपूर्ण महापौर परिषद में महिला एवं बाल विकास विभाग की जिम्मेदारी संभाल रही थीं। उनका भाजपा में शामिल होना कांग्रेस के लिए एक महत्वपूर्ण नुकसान माना जा रहा है, खासकर इसलिए क्योंकि सीमा साहू महापौर पद की एक मजबूत दावेदार थीं। रिसाली महापौर का पद अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) महिला के लिए आरक्षित था और साहू इस वर्ग से आती हैं, जिससे उनकी दावेदारी स्वाभाविक थी। इतना ही नहीं, उनके पारिवारिक संबंध प्रदेश के पूर्व गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू से भी हैं, जो कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं। हालांकि, कांग्रेस पार्टी ने उस समय शशि सिन्हा को अपना महापौर उम्मीदवार बनाया था, जो अंततः निर्वाचित हुईं। सीमा साहू की इस पृष्ठभूमि को देखते हुए उनका दल-बदल कांग्रेस के भीतर की खींचतान और असंतोष को उजागर करता है।
भाजपा में शामिल होने का घटनाक्रम
सीमा साहू ने दुर्ग सांसद विजय बघेल के निवास पर विधिवत भाजपा की सदस्यता ग्रहण की। इस अवसर पर सांसद विजय बघेल के साथ-साथ दुर्ग ग्रामीण विधायक ललित चंद्रकार और दुर्ग जिला भाजपा अध्यक्ष सुरेंद्र कौशिक भी उपस्थित थे, जिन्होंने सीमा साहू का भाजपा में स्वागत किया। भाजपा नेताओं ने इस दल-बदल को कांग्रेस की आंतरिक कलह और स्थानीय निकाय में उनकी गिरती पकड़ का प्रमाण बताया है।
महापौर से नाराजगी: एक बड़ा कारण
सीमा साहू ने अपनी दल-बदल के पीछे का कारण स्पष्ट करते हुए कहा कि रिसाली नगर निगम की महापौर का कामकाज MIC सदस्यों और पार्षदों के साथ समुचित नहीं था। उन्होंने महापौर पर समन्वय की कमी और पार्षदों की उपेक्षा करने का आरोप लगाया। साहू के अनुसार, महापौर का व्यवहार और कार्यप्रणाली ऐसी थी कि कई पार्षदों में भारी असंतोष था, जिसके कारण पहले भी चार पार्षद भाजपा में शामिल हो चुके थे। यह दर्शाता है कि महापौर के नेतृत्व के खिलाफ एक अंदरूनी विद्रोह पनप रहा था, जो अब खुलकर सामने आ गया है। कांग्रेस के लिए यह स्थिति चिंताजनक है क्योंकि यह स्थानीय स्तर पर पार्टी के भीतर एकता की कमी को प्रदर्शित करता है।