
RAIPUR NEW – छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में सामने आए करोड़ों रुपये के तेंदूपत्ता बोनस घोटाले में जांच एजेंसियों से एक बड़ी लापरवाही उजागर हुई है। आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) ने इस घोटाले के मुख्य आरोपी, पूर्व वन मंडलाधिकारी (DFO) अशोक कुमार पटेल को दंतेवाड़ा की विशेष अदालत में पेश करने के बजाय गलती से रायपुर की अदालत में प्रस्तुत कर दिया।
यह गंभीर चूक तब सामने आई जब अदालत ने पाया कि मामला दंतेवाड़ा क्षेत्राधिकार से जुड़ा है, और आरोपी को गलत अदालत में लाया गया है। इस गलती ने न सिर्फ न्यायिक प्रक्रिया में बाधा डाली बल्कि जांच एजेंसियों की कार्यशैली पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।
गौरतलब है कि इस घोटाले में तेंदूपत्ता संग्राहकों को वर्ष 2021 और 2022 में मिलने वाले लगभग ₹7 करोड़ के बोनस का गबन किया गया था। इस मामले में ACB और EOW ने सुकमा, दंतेवाड़ा, जगदलपुर और रायगढ़ में दबिश दी थी, जहां से लाखों रुपये नकद और कई अहम दस्तावेज बरामद हुए थे।
घोटाले को लेकर सियासी हलचल भी तेज है। नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने राज्यपाल को पत्र लिखकर पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि वन विभाग के कुछ अधिकारी और प्राथमिक वनोपज समितियों के प्रतिनिधियों की मिलीभगत से यह घोटाला अंजाम दिया गया है, जिससे हजारों आदिवासी तेंदूपत्ता संग्राहकों को उनके हक का पैसा नहीं मिल पाया।
इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या इतनी बड़ी रकम के भ्रष्टाचार की जांच में जांच एजेंसियां पूरी सजगता और पारदर्शिता से काम कर रही हैं?