“जन सुराज” जारी करेगा दूसरी सूची — राघोपुर की पुरानी साज़िश अब सुलझ सकती है?

राघोपुर का सस्पेंस खत्म होगा आज? जन सुराज पार्टी जारी करेगी दूसरी उम्मीदवार सूची

बिहार विधानसभा चुनावों की राजनीति अब और तेज़ी पकड़ चुकी है। जन सुराज पार्टी (Prashant Kishor की) सोमवार को अपनी दूसरी उम्मीदवार सूची जारी करने जा रही है। इस सूची से एक खास सीट—राघोपुर—के बारे में लंबित सस्पेंस खत्म होने की उम्मीद जताई जा रही है। राजनीतिक गलियारों में चर्चाएँ हैं कि इस बार जन सुराज, राघोपुर में दस्तक देने की योजना बना रही है — संभवतः खुद पीके (प्रशांत किशोर) या किसी प्रभावशाली चेहरे के माध्यम से। यदि यह सच हुआ, तो यह सीट पर जमकर मुकाबला देखने को मिलेगा, खासकर उस परिदृश्य में जब वह सीट आज तक यादव परिवार की पकड़ में रही है।

पहली सूची में क्या था — और कौन था शामिल

9 अक्टूबर को जन सुराज ने पहली सूची जारी की थी जिसमें 51 उम्मीदवारों के नाम शामिल थे।

कुछ प्रमुख नामों में शामिल थे:

भोजपुरी गायक रितेश रंजन पांडेय (कारगहर):

  • R.K. Mishra (दरभंगा)
  • Y V Giri (मानझी)
  • K C Sinha (कुंभ्वरार)

लेकिन इस सूची में प्रशांत किशोर (PK) का नाम नहीं था — इसने और भी ज्यादा अटकलों को हवा दी थी। पीके ने स्वयं राघोपुर से उनकी शक्तिपरक उपस्थिति दर्ज कराई है, जहां उन्होंने स्थानीय जनता से अपील करते हुए प्रश्न उठाया है कि Tejashwi Yadav जैसे बड़े नेता इतने वर्षों तक रघोपुर से विधायक रहकर किसानों और आम जनता की समस्याएँ क्यों नहीं सुन पाए।

राघोपुर की जंग: क्यों है सीट इतनी खास?

राघोपुर सीट वीशाली जिले में स्थित है और यह परंपरागत रूप से यादव परिवार की कट्टर संस्थापन है — Lalu Prasad यादव और Rabri Devi ने इसे मजबूत बनाए रखा है, और अब Tejashwi Yadav इसी सीट से फिर चुनाव लड़ रहे हैं।

यदि जन सुराज इस सीट पर अपना उम्मीदवार खड़ा करती है, तो यह मतदाताओं के लिए नया विकल्प होगा, संभावना है कि ग्रामीण और मध्यमवर्गीय आबादी इस बदलाव की तरफ आकर्षित हो सकती है।
लेकिन यह आसान नहीं — यादव मतदाताओं की वफादारी, स्थानीय जमीनी संगठन और पुराने समीकरण चुनौती बन सकते हैं।

उम्मीदें, सूत्र और रणनीति

  • दूसरी सूची में यह बात तय है कि राघोपुर सीट का मामला शीर्ष प्राथमिकता होगी।
  • यह संभावना है कि सूची में PK या कोई स्थानीय चेहरा जो जन सुराज की स्वीकार्यता बढ़ा सके — शामिल होगा।
  • सुत्रों का कहना है कि ही सूची जारी होते ही स्थानीय संगठन, युवाओं और वर्गीय समीकरणों को मध्य में रखते हुए टिकट वितरण किया जाएगा।

जनता की प्रतिक्रिया: आशा, सवाल और निगाहें

पटना, राघोपुर और आसपास के जिलों में जनता इस बात से उत्साहित है कि उन्हें एक नया विकल्प मिल सकता है।
कई नागरिक इस लाइन में कह रहे हैं:

“अगर कोई नई ताकत साहस कर के राघोपुर लड़े, तो पुराने पैटर्न टूट सकते हैं।”
“देखना है क्या PK मैदान में कदम रखेंगे या नहीं — वो नाम जो उम्मीद जगायें।”

लेकिन अब सवाल यह है कि जन सुराज कितनी विश्वसनीयता और संगठन क्षमता के साथ इस अभियान को आगे ले जा सकेगी।

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