बिलासपुर: कबीर गुरुद्वारा का 70वां स्थापना दिवस धूमधाम से मनाया गया
छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में कबीर गुरुद्वारा का 70वां स्थापना दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस ऐतिहासिक अवसर पर संत कबीर के अनुयायियों ने बड़ी संख्या में भाग लिया
बिलासपुर: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में कबीर गुरुद्वारा का 70वां स्थापना दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस ऐतिहासिक अवसर पर संत कबीर के अनुयायियों ने बड़ी संख्या में भाग लिया। पूरा गुरुद्वारा परिसर संत कबीर के अमृत वचनों से गूंज उठा। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विधायक अमर अग्रवाल ने अपनी उपस्थिति से कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। इस दौरान उन्होंने 2025 के कैलेंडर का विमोचन किया और कबीर की साखी का पाठ करने वाले बच्चों को कॉपी-पेन का वितरण किया।
गुरुद्वारा की स्थापना का इतिहास
झोपड़पारा कीर्तिनगर कबीर गुरुद्वारा की स्थापना 5 जनवरी 1955 को स्व. बाबूदास बघेल ने की थी। वह एक साधारण रेलवे कर्मचारी थे, जिन्होंने सद्गुरु कबीर साहब के विचारों और वाणियों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए यह संकल्प लिया। उनके इस कार्य में कई चुनौतियां आईं, जिसमें नौकरी से निलंबन भी शामिल था। लेकिन उनके प्रयास रंग लाए और उन्होंने बिलासपुर रेलवे परिक्षेत्र में गुरुद्वारा की स्थापना कराई।
गुरुद्वारा का कायाकल्प और विकास
गुरुद्वारा पहले एक छोटा सा पूजा स्थल था। लेकिन जनसहयोग और समिति के सदस्यों जैसे बी.एल. मानिकपुरी, एल.डी. पपीहे, छेदीदास ग्वाल, और आनंद दास महानदिया के प्रयासों से इसका विस्तार हुआ। बाद में विधायक अमर अग्रवाल ने 12 लाख रुपये की राशि स्वीकृत कर गुरुद्वारा के भव्य विकास में अहम भूमिका निभाई।
कार्यक्रम की प्रमुख बातें
- कैलेंडर विमोचन:
गुरुद्वारा समिति द्वारा प्रकाशित 2025 के कैलेंडर का विमोचन किया गया। - बच्चों को पुरस्कृत किया गया:
लगभग 100 बच्चों को कॉपी, पेन और पेंसिल वितरित की गई। ये बच्चे पूर्णिमा और अन्य अवसरों पर कबीर की साखी का पाठ करते हैं। - गुरुद्वारा समिति की उपस्थिति:
इस आयोजन में अध्यक्ष उत्तम दास मानिकपुरी, रेलवे के चीफ मटेरियल मैनेजर नवीनसिंह सिंह, डॉ. देवघर महंत, डॉ. पी.डी. महंत, और अन्य गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
स्थापना दिवस पर विधायक का योगदान
गुरुद्वारा समिति के सदस्यों ने विधायक अमर अग्रवाल का स्वागत किया और उनके द्वारा गुरुद्वारा के कायाकल्प और विकास के लिए किए गए कार्यों की सराहना की। अग्रवाल ने अपने भाषण में संत कबीर के विचारों को वर्तमान समय के लिए प्रासंगिक बताया और सामाजिक समरसता का संदेश दिया।