खंडित मूर्तियां, स्वास्तिक लिखी ईंटें और कुएं में छिपा इतिहास… संभल में मंदिर के पास खुदाई में क्या-क्या मिला?
संभल, उत्तर प्रदेश। हाल ही में उत्तर प्रदेश के संभल जिले में एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक खोज हुई है, जो जिले के इतिहास को फिर से जीवित कर रही है। 46 साल बाद एक पुराने शिव मंदिर और उसके पास बने कुएं की खुदाई के दौरान कई महत्वपूर्ण चीजें सामने आई हैं, जिनसे जुड़ी चर्चा और विवाद भी शुरू हो गया है।
मंदिर और कुएं की खोज
संभल जिले के खग्गू सराय इलाके में स्थित एक शिव मंदिर, जो पिछले 46 वर्षों से अतिक्रमण और बंद हालत में था, अब पुनः खोला गया है। इस मंदिर के पास बने कुएं की खुदाई में मूर्तियां और स्वास्तिक लिखी हुई ईंटें मिली हैं। अब तक खुदाई में तीन मूर्तियां मिली हैं, जिनमें पार्वती, गणेश, और कार्तिकेय/लक्ष्मी जी की मूर्तियां शामिल हैं। इसके अलावा, स्वास्तिक बनी हुई ईंटें भी मिली हैं, जिनसे दावा किया जा रहा है कि इस क्षेत्र में और भी ऐतिहासिक वस्तुएं छिपी हो सकती हैं।
धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व
यह मंदिर और कुआं सालों से अतिक्रमण का शिकार रहे थे, और अब इनकी खुदाई से यह भी आशंका जताई जा रही है कि वहां और मूर्तियां या ऐतिहासिक अवशेष हो सकते हैं। खुदाई की प्रक्रिया को फिलहाल रोका गया है, ताकि मूर्तियां और अन्य अवशेष खंडित न हो जाएं। इस घटना के बाद स्थानीय हिंदू समुदाय में उत्साह है, और पूजा-पाठ व भजन-कीर्तन की शुरुआत हो चुकी है।
प्रशासन की कार्रवाई
संभल के डीएम राजेंद्र पेंसिया ने बताया कि मंदिर और कुएं की कार्बन डेटिंग के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को पत्र लिखा गया है, ताकि इनकी सही उम्र का पता चल सके। इसके साथ ही, पुलिस बल को भी मौके पर तैनात किया गया है, ताकि किसी भी प्रकार की असामान्य स्थिति से निपटा जा सके।
पुराने दंगों का संदर्भ
यह घटना उस समय के दंगों की याद भी ताजा करती है, जब 1978 में संभल में सांप्रदायिक हिंसा हुई थी, जिसे “फड़ कांड” के नाम से जाना जाता है। इस हिंसा के बाद हिंदू समुदाय ने अपने घरों को छोड़ दिया था, और कई धार्मिक स्थल अतिक्रमण का शिकार हो गए थे।
सीएम योगी का बयान
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मंदिर की पुनः खोज और संभल के पुराने दंगों के संदर्भ में कहा, “यह मंदिर रातोंरात प्रकट नहीं हुआ है, बल्कि यह हमारी चिरस्थायी विरासत और हमारे इतिहास की सच्चाई का प्रतिनिधित्व करता है।” उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि क्यों दंगों के अपराधियों को दशकों बाद भी अदालत में नहीं लाया गया है।
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