छत्तीसगढ़ में निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) के तहत निजी स्कूलों में बच्चों के प्रवेश को लेकर शिक्षा विभाग ने एक बड़ा नीतिगत बदलाव किया है। आगामी शिक्षा सत्र से, RTE के तहत बच्चों का प्रवेश अब केवल कक्षा पहली (Class 1) से ही होगा।
अभी तक, गरीब और बीपीएल परिवारों के बच्चों को एंट्री क्लास (नर्सरी और केजी-1) के साथ-साथ कक्षा पहली में भी प्रवेश दिया जाता था।
बदलाव का कारण और सरकारी फैसला
यह निर्णय लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा RTE की धारा 12(1)(ग) के प्रावधानों के अनुरूप लिया गया है। लोक शिक्षण संचालनालय ने केवल कक्षा पहली में प्रवेश दिए जाने हेतु एक प्रस्ताव शासन को भेजा था, जिसे राज्य सरकार ने प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान कर दी है। इसके साथ ही, एंट्री क्लास (नर्सरी/केजी-1) में प्रवेश की व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया है।
प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन का कड़ा विरोध
छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन ने इस नए नियम का कड़ा विरोध किया है। एसोसिएशन के अध्यक्ष राजीव गुप्ता ने इस बदलाव को बच्चों के भविष्य के लिए हानिकारक बताया है:
- ड्रॉपआउट का खतरा: उन्होंने कहा कि कक्षा पहली में सीधे प्रवेश देने से बीपीएल बच्चों को पढ़ाई में कठिनाई होगी, जिससे उन पर मानसिक दबाव बढ़ेगा और वे अन्य बच्चों से पिछड़ जाएंगे। इससे ड्रॉपआउट (Dropout) की संभावना बढ़ेगी।
- फीस बचाने का आरोप: एसोसिएशन ने राज्य शासन पर नर्सरी और केजी-1 की फीस प्रतिपूर्ति का पैसा बचाने के लिए यह नियम बदलने का आरोप लगाया है, जिसका सीधा नुकसान बच्चों की शिक्षा को होगा।
फीस प्रतिपूर्ति में 2011 से कोई बढ़ोतरी नहीं
प्राइवेट स्कूल संचालकों ने यह मुद्दा भी उठाया है कि RTE के तहत प्रवेशित बच्चों की फीस प्रतिपूर्ति में वर्ष 2011 से अब तक कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है, जबकि वे लगातार वृद्धि की मांग कर रहे हैं।
वर्तमान फीस प्रतिपूर्ति दर (प्रति छात्र प्रति वर्ष):
| कक्षा वर्ग | प्रतिपूर्ति राशि | यूनिफॉर्म के लिए |
|---|---|---|
| पहली से पाँचवी | ₹7,000 | ₹540 |
| छठवीं से आठवीं | ₹11,500 | ₹1,000 |
| नौवीं से बारहवीं | ₹15,000 | ₹1,000 |