
रायपुर, छत्तीसगढ़ – छत्तीसगढ़ में हुए बहुचर्चित करोड़ों रुपये के डीएमएफ (ज़िला खनिज फाउंडेशन) घोटाले में आरोपी निलंबित IAS अधिकारी रानू साहू और पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की उपसचिव रहीं सौम्या चौरसिया को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। शीर्ष अदालत ने कुछ शर्तों के साथ दोनों को अंतरिम जमानत प्रदान कर दी है, जिसके बाद वे लगभग दो साल बाद जेल से बाहर आ पाएंगी।
वरिष्ठ अधिवक्ता हर्षवर्धन परगनिहा ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने जांच को प्रभावित करने की आशंका के चलते दोनों अधिकारियों के छत्तीसगढ़ में रहने पर पाबंदी लगाई है। न्यायालय ने यह भी निर्देश दिया है कि सौम्या चौरसिया और रानू साहू आगामी आदेश तक छत्तीसगढ़ में निवास नहीं करेंगी।
सौम्या चौरसिया को अंतरिम जमानत का लाभ देते हुए, न्यायालय ने इस बात पर भी गौर किया कि कैसे जांच एजेंसियाँ एक मामले में अभियुक्त को ज़मानत मिलने के बाद किसी अन्य मामले में उसकी संलिप्तता बताकर फिर से हिरासत में ले लेती हैं। इस शर्त के साथ मिली अंतरिम ज़मानत के बाद, दोनों अधिकारी अब राज्य से बाहर रहकर अपनी रिहाई का लाभ उठा पाएंगी। इस मामले ने छत्तीसगढ़ के राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों में हलचल मचा दी है।