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चुनावी जीत के लिए तंत्र-मंत्र और पूजा-पाठ का सहारा: छत्तीसगढ़ में बढ़ा रुझान
रायपुर। छत्तीसगढ़ में नगरीय निकाय चुनावों की सरगर्मी के बीच प्रत्याशियों में तंत्र-मंत्र और पूजा-पाठ का सहारा लेने का रुझान तेजी से बढ़ रहा है। भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों के उम्मीदवार चुनावी मैदान में अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए मंदिरों, बाबाओं और तांत्रिकों के चक्कर लगा रहे हैं।
चुनावी दरबारों में उमड़ी भीड़
प्रदेश के कई हिस्सों में विशेष पूजा-अर्चना के नाम पर बड़ी रकम खर्च की जा रही है।
- सारंगढ़ का गोडम गांव चर्चा में है, जहां 22 वर्षीय अजय उपाध्याय महाराज भक्तों को पर्चों के जरिए उनका भविष्य बता रहे हैं।
- उनके दरबार में इन दिनों भावी जनप्रतिनिधियों की भीड़ उमड़ रही है। बाबा के भक्त दावा करते हैं कि उनकी पूजा और आशीर्वाद से चुनावी जीत सुनिश्चित होती है।
श्मशान काली मंदिर में विशेष पूजा
रायपुर के राजेंद्र नगर स्थित श्मशान काली मंदिर में भी प्रत्याशी विशेष पूजा करवा रहे हैं। यहां मां बगलामुखी की पूजा शत्रु विजय और चुनावी सफलता के लिए की जाती है।
- पिछले विधानसभा चुनाव में चार प्रत्याशियों ने यहां पूजा करवाई थी, जिनमें सभी विजयी हुए थे।
- इस पूजा के दौरान सवा लाख आहुतियां दी जाती हैं, और इसे दो महीने तक लगातार किया जाता है।
तंत्र-मंत्र के नाम पर भारी खर्च
- जीत के लिए बलि और यज्ञ: कुछ जगहों पर बकरे की बलि, शेर की मूंछ, और हाथी के दांत जैसी चीजों की मांग की जा रही है।
- खर्च: सात दिन के यज्ञ के लिए लगभग ₹60,000 की मांग की जाती है, जिसमें आधा पैसा पहले और आधा बाद में लिया जाता है।
बाबाओं और तांत्रिकों की बढ़ती भूमिका
- रायगढ़ और सारंगढ़ के दरबारों में भावी जनप्रतिनिधि अपनी अर्जियां लगा रहे हैं।
- बागेश्वर धाम की तर्ज पर अजय उपाध्याय महाराज का दरबार लोकप्रिय हो रहा है।
- मंदिरों और तांत्रिकों के पास केवल क्षेत्रीय नेता ही नहीं, बल्कि बड़े दलों के नेता भी पहुंच रहे हैं।
समाज में चुनाव और अंधविश्वास का गठजोड़
छत्तीसगढ़ में यह प्रथा समाज में गहरे बैठे अंधविश्वास और चुनावी जीत की आस को दिखाती है।
- तंत्र-मंत्र और पूजा-पाठ के जरिए प्रत्याशी अपने विरोधियों पर बढ़त पाने का दावा करते हैं।
- यह भी दावा किया जाता है कि इन पूजा-पाठ के चलते कई प्रत्याशियों ने अपनी जीत दर्ज की है।