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छत्तीसगढ़ में कोरोना की नई चुनौती: स्वास्थ्य विभाग हाई अलर्ट पर, अस्पतालों को नए प्रोटोकॉल जारी; मंत्री बोले – ‘घबराने की ज़रूरत नहीं’ –

छत्तीसगढ़ में कोरोना की नई चुनौती: स्वास्थ्य विभाग हाई अलर्ट पर, अस्पतालों को नए प्रोटोकॉल जारी; मंत्री बोले - 'घबराने की ज़रूरत नहीं' -

रायपुर, छत्तीसगढ़ – छत्तीसगढ़ में कोरोना वायरस के कुछ नए मामलों की पुष्टि होने के बाद राज्य का स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से सतर्क हो गया है। वैश्विक स्तर पर नए वेरिएंट्स को लेकर जारी चिंताओं के बीच, विभाग ने संक्रमण की प्रभावी निगरानी और प्रबंधन के लिए सभी सरकारी और निजी अस्पतालों के लिए एक विस्तृत नया प्रोटोकॉल जारी किया है। वहीं, राज्य के स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने प्रदेशवासियों से अपील की है कि वे किसी भी तरह की अनावश्यक घबराहट से बचें, क्योंकि नए वेरिएंट का प्रभाव “असरकारक” प्रतीत हो रहा है।

नए प्रोटोकॉल का उद्देश्य: सघन निगरानी और त्वरित प्रतिक्रिया –

स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी निर्देशों के अनुसार, अब सभी ज़िलों के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों (CMHO) को ओपीडी (OPD) और आईपीडी (IPD) में आने वाले ऐसे मरीजों की अनिवार्य रूप से IHIP पोर्टल पर एंट्री करनी होगी, जिनमें सर्दी, खांसी, जुकाम या बुखार जैसे इन्फ्लुएंजा जैसे लक्षण (ILI) या गंभीर तीव्र श्वसन संक्रमण (SARI) के संकेत दिखते हैं। यह कदम संक्रमण के संभावित प्रसार को शुरुआती चरण में ही पहचानने और रोकने के लिए महत्वपूर्ण है।

सामुदायिक स्तर पर निगरानी को मज़बूत करने के लिए, ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में कार्यरत मितानिन कार्यकर्ताएँ भी IHIP पोर्टल के कम्युनिटी बेस्ड सर्विलांस (CBS) सेक्शन के माध्यम से लक्षणों वाले व्यक्तियों की जानकारी दर्ज करेंगी। यह जमीनी स्तर पर डेटा एकत्र करने और हॉटस्पॉट की पहचान करने में मदद करेगा।

अस्पतालों में सख्त नियम और संसाधनों की तैयारी –

स्वास्थ्य विभाग ने सभी स्वास्थ्य कर्मियों को ILI और SARI के उपचार तथा प्रबंधन के प्रति संवेदनशील बनाने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही, सभी अस्पतालों में मास्क का उपयोग अनिवार्य कर दिया गया है और ‘रेस्पिरेटरी एटिकेट’ (खाँसने और छींकने के शिष्टाचार) का सख्ती से पालन सुनिश्चित करने को कहा गया है।

संसाधनों की उपलब्धता पर भी विशेष ज़ोर दिया गया है। SARI मामलों के प्रबंधन के लिए आवश्यक मास्क, पीपीई किट जैसे सुरक्षा उपकरणों का स्टॉक अपडेट रखने और उनकी पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके अतिरिक्त, लक्षण आधारित उपचार के लिए आवश्यक दवाइयों की पर्याप्त उपलब्धता बनाए रखने को भी कहा गया है।

जांच, जीनोम सीक्वेंसिंग और ऑक्सीजन प्लांट्स पर भी फोकस –

नए प्रोटोकॉल में कोविड-19 की जांच और नए वेरिएंट्स की पहचान पर भी ध्यान केंद्रित किया गया है। यदि कोई ILI या SARI रोगी लक्षण आधारित उपचार से ठीक नहीं होता है और उसमें अन्य गंभीर बीमारियाँ (को-मॉर्बिडिटी) भी पाई जाती हैं, तो चिकित्सक की सलाह पर उसकी कोविड-19 जांच करवाई जाएगी। यदि रिपोर्ट पॉजिटिव आती है, तो सैंपल को पूरे जीनोम अनुक्रमण (Whole Genome Sequencing – WGS) के लिए एम्स रायपुर भेजा जाएगा, ताकि किसी भी नए वेरिएंट की पहचान की जा सके।

राज्य के सभी ज़िलों में स्थापित पीएसए (PSA) ऑक्सीजन प्लांट्स की समीक्षा की जाएगी और उन्हें पूरी तरह से क्रियाशील रखने के निर्देश दिए गए हैं, ताकि आवश्यकता पड़ने पर उनका तुरंत उपयोग किया जा सके। सभी पुष्टि हुए मामलों की IHIP पोर्टल में अनिवार्य रूप से दैनिक रिपोर्टिंग भी राज्य सर्विलांस इकाई को करनी होगी।

स्वास्थ्य मंत्री का reassuring संदेश: “घबराने की ज़रूरत नहीं” –

इन सक्रिय कदमों के बीच, स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने जनता को आश्वस्त करते हुए कहा है कि नए कोरोना वेरिएंट का प्रभाव “असरकारक” है। उन्होंने बताया कि प्रदेश में अब तक केवल तीन ही कोरोना मरीज सामने आए हैं और उनकी हालत सामान्य है। मंत्री ने ज़ोर देकर कहा कि राज्य में किसी भी आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए बेड, दवाइयों और ऑक्सीजन की पर्याप्त व्यवस्थाएँ मौजूद हैं, और फिलहाल किसी गंभीर स्थिति की उम्मीद नहीं है।

स्वास्थ्य विभाग का यह समग्र प्रयास आगामी समय में संभावित कोविड-19 की पुनरावृत्ति को रोकने, नए वेरिएंट्स की पहचान करने और सामुदायिक स्तर पर बीमारियों की निगरानी को और मज़बूत करने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है। जनता से अपील की गई है कि वे अनावश्यक भय से दूर रहें और सरकारी दिशानिर्देशों का पालन करें।

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