छत्तीसगढ़ बना साइबर ठगों का नया ठिकाना, 500 करोड़ की मनी लॉन्ड्रिंग का खुलासा
छत्तीसगढ़ में साइबर अपराधियों के लिए मनी लॉन्ड्रिंग का नया ठिकाना बनता जा रहा है। केंद्रीय गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, रायपुर, दुर्ग
रायपुर। छत्तीसगढ़ में साइबर अपराधियों के लिए मनी लॉन्ड्रिंग का नया ठिकाना बनता जा रहा है। केंद्रीय गृह मंत्रालय की रिपोर्ट के अनुसार, रायपुर, दुर्ग और राजनांदगांव में बीते दो महीनों में 500 करोड़ से अधिक की ठगी की रकम संदिग्ध बैंक खातों (म्यूल अकाउंट) के जरिए ट्रांसफर हुई है। हैरानी की बात यह है कि रायपुर में बाकायदा फर्जी कंपनियां बनाकर ठगी की रकम को सफेद किया जा रहा था।
कैसे हुआ खुलासा?
रायपुर क्राइम ब्रांच और साइबर पुलिस की जांच में यह सामने आया कि छत्तीसगढ़ के विभिन्न बैंकों में 5000 से अधिक संदिग्ध बैंक अकाउंट खोले गए थे। इन खातों का उपयोग ठगी की रकम को विदेशों में ट्रांसफर करने के लिए किया जा रहा था। पुलिस की जांच में यह भी पता चला कि कई खाताधारकों को खुद उनके खातों के इस्तेमाल की जानकारी तक नहीं थी।
फर्जी कंपनी बनाकर करोड़ों का ट्रांजेक्शन
दिल्ली के साइबर अपराधी संदीप रात्रा और रायपुर के राजवीर सिंह ने मिलकर क्रोमा शिपिंग एंड लॉजिस्टिक्स नाम से एक फर्जी कंपनी बनाई। इस कंपनी के जरिए 429 करोड़ रुपये की ठगी की रकम को छत्तीसगढ़ से सिंगापुर और थाईलैंड होते हुए चीन भेजा गया।
क्यों छत्तीसगढ़ बना मनी लॉन्ड्रिंग का हब?
पुलिस जांच में यह भी सामने आया कि छत्तीसगढ़ में महादेव सट्टा ऐप के कारण पहले से ही बैंक अकाउंट किराए पर लेने का नेटवर्क बना हुआ था। इसी का फायदा उठाकर साइबर अपराधियों ने यहां के लोगों को ठगी की रकम ठिकाने लगाने के लिए इस्तेमाल किया।
कंबोडिया से हो रहा था ठगी का संचालन
राजनांदगांव पुलिस की जांच में पता चला कि ठगी के इस नेटवर्क का संचालन कंबोडिया से किया जा रहा था। यहां बैठे ठग फर्जी कॉल सेंटर और ऑनलाइन स्कैम के जरिए लोगों को ठग रहे थे और उनकी रकम छत्तीसगढ़ के खातों में मंगवा रहे थे।
अब तक कितने आरोपी गिरफ्तार?
अब तक साइबर पुलिस चार बैंक कर्मियों सहित 70 आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है। इनमें रायपुर से 43, दुर्ग से 23 और राजनांदगांव से 4 लोग शामिल हैं। पुलिस ने 5000 संदिग्ध खातों को ब्लॉक कर दिया है।
कैसे होती थी ठगी?
- लालच देकर अकाउंट किराए पर लेना – साइबर ठग बेरोजगार युवाओं और जरूरतमंद लोगों को 10,000 से 50,000 रुपये तक का लालच देकर उनके बैंक अकाउंट, एटीएम और पासबुक अपने कब्जे में ले लेते थे।
- मनी लॉन्ड्रिंग के लिए इस्तेमाल – इन खातों का इस्तेमाल ठगी की रकम को फॉरेक्स ट्रेडिंग और क्रिप्टोकरंसी के जरिए विदेशों में ट्रांसफर करने के लिए किया जाता था।
- फर्जी कंपनियों के जरिए रकम सफेद करना – इन कंपनियों के बैंक अकाउंट का उपयोग कर लाखों-करोड़ों रुपये के ट्रांजेक्शन को वैध दिखाने की कोशिश की जाती थी।
साइबर ठगी से कैसे बचें?
- अपने बैंक अकाउंट, पासबुक, एटीएम और मोबाइल नंबर किसी अनजान व्यक्ति को न दें।
- अगर कोई आपके अकाउंट का इस्तेमाल करने के बदले पैसे देने का ऑफर दे, तो तुरंत पुलिस को सूचित करें।
- ऑनलाइन जॉब और स्कीम के नाम पर पैसे ट्रांसफर करने से पहले जांच-पड़ताल करें।