छत्तीसगढ़ शराब घोटाला: 22 आबकारी अधिकारी निलंबित, मुख्यमंत्री साय बोले – दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा
छत्तीसगढ़ शराब घोटाला: 22 आबकारी अधिकारी निलंबित, मुख्यमंत्री साय बोले - दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा

रायपुर, छत्तीसगढ़: छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले में राज्य सरकार ने बड़ी कार्रवाई करते हुए 22 आबकारी अधिकारियों को निलंबित कर दिया है। यह कार्रवाई आर्थिक अपराध अन्वेषण शाखा (EOW) द्वारा विशेष अदालत में 29 अधिकारियों के खिलाफ चालान दाखिल किए जाने के ठीक बाद हुई है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने स्पष्ट संदेश दिया है कि इस घोटाले में शामिल किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा।
वाणिज्यिक कर (आबकारी) विभाग ने निलंबन के आदेश जारी कर दिए हैं। जानकारी के अनुसार, EOW ने 7 जुलाई को 2300 पन्नों का चालान विशेष अदालत में पेश किया था, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया है। इस चालान में जिला आबकारी अधिकारी, सहायक आयुक्त और उपायुक्त आबकारी जैसे विभिन्न पदों के अधिकारियों के नाम शामिल हैं। 29 आरोपियों में से 7 अधिकारी सेवानिवृत्त हो चुके हैं, जबकि एक की बीमारी से मृत्यु हो गई है।
घोटाले की बढ़ती रकम और modus operandi:
EOW की जांच में सामने आया है कि इस शराब घोटाले की अनुमानित रकम 2174 करोड़ रुपये से बढ़कर 3200 करोड़ रुपये से अधिक हो सकती है। यह घोटाला 2019 से 2023 के बीच हुआ, जब पिछली कांग्रेस सरकार सत्ता में थी। जांच एजेंसियों का दावा है कि एक संगठित सिंडिकेट बनाकर इस भ्रष्टाचार को अंजाम दिया गया, जिसमें अधिकारियों, नेताओं और कारोबारियों की गहरी सांठगांठ थी।
घोटाले का तरीका यह था कि 15 बड़े जिलों में, जहां देसी शराब की खपत अधिक थी, डिस्टिलरियों में अतिरिक्त शराब का निर्माण कर उसे सीधे चुनिंदा दुकानों में भेजा जाता था। यह शराब बिना किसी सरकारी शुल्क का भुगतान किए, वैध शराब के समान कीमत पर बेची जाती थी। इस अवैध “बी-पार्ट” शराब की बिक्री से मोटी रकम एकत्र की जाती थी, जिसे जिला प्रभारी आबकारी अधिकारियों के नियंत्रण में सिंडिकेट के लोगों तक पहुंचाया जाता था। अनुमान है कि 60 लाख से अधिक अवैध “बी-पार्ट” शराब की पेटियां बेची गईं।
पहले की गिरफ्तारियां और आगे की जांच:
इस मामले में पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा सहित कई अधिकारी और शराब माफिया पहले ही गिरफ्तार हो चुके हैं। EOW की जांच में यह भी सामने आया है कि पूर्व मंत्री कवासी लखमा को इस घोटाले के संरक्षण के बदले लगभग 64 करोड़ रुपये का अनुचित आर्थिक लाभ मिला था।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय की सरकार भ्रष्टाचार के प्रति ‘जीरो टॉलरेंस’ की नीति पर काम कर रही है। उच्च न्यायालय ने भी इस घोटाले से संबंधित याचिकाओं को खारिज कर दिया है, जिससे जांच एजेंसियों को आगे बढ़ने की अनुमति मिल गई है। आने वाले दिनों में और भी गिरफ्तारियां और बड़े खुलासे होने की संभावना है, क्योंकि EOW और ACB इस मामले की गहन जांच कर रही हैं। यह कार्रवाई छत्तीसगढ़ में भ्रष्टाचार के खिलाफ एक मजबूत संदेश है।