छत्तीसगढ़ में माओवादी समस्या: 2026 तक राज्य को माओवादी मुक्त करने की चुनौती
छत्तीसगढ़ में माओवादी चरमपंथियों के पास सुरक्षा बलों से लूटे गए हथियारों की बड़ी संख्या ने राज्य को माओवादी मुक्त बनाने के लक्ष्य में गंभीर चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। गृह मंत्री अमित शाह ने 24 अगस्त को घोषणा की थी कि 2026 तक छत्तीसगढ़ को माओवादियों से मुक्त कर दिया जाएगा, लेकिन सुरक्षा बलों के सामने कई गंभीर समस्याएं हैं, खासकर ऑटोमेटिक हथियारों के मामले में।
लूटे गए हथियार और माओवादी खतरा
बस्तर इलाके में माओवादियों ने साल 2001 से 2024 के बीच सुरक्षा बलों से कुल 516 ऑटोमेटिक हथियार लूटे। इनमें से केवल 21.5% यानी 111 हथियार ही बरामद किए जा सके हैं। बाकी 80% हथियार अब भी माओवादियों के पास हैं, जो उन्हें ताकतवर बनाते हैं और सुरक्षा बलों के लिए एक बड़ी चुनौती प्रस्तुत करते हैं।
बरामदगी और शंका
हालांकि 2024 में पिछले 20 सालों में सबसे अधिक हथियार बरामद हुए हैं, लेकिन फिर भी माओवादियों के पास मौजूद भारी मात्रा में हथियार गृह मंत्री की माओवादी मुक्त प्रदेश बनाने की घोषणा को कठिन बनाते हैं। सुरक्षा बलों ने शंका जताई है कि अगर इन हथियारों को बरामद नहीं किया गया, तो 2026 तक माओवादी खतरे का समाप्त होना मुश्किल हो सकता है।
आत्मसमर्पण और हथियार
एक और समस्या यह है कि आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों में से बहुत कम ने अपने ऑटोमेटिक हथियारों के साथ आत्मसमर्पण किया है। अधिकारी मानते हैं कि हथियारों के साथ आत्मसमर्पण करने वालों को नौकरी, आर्थिक सहायता, और अन्य प्रोत्साहनों के जरिए बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
गोला-बारूद की कमी
हालांकि, बस्तर में तैनात एक अधिकारी का कहना है कि माओवादियों के पास हथियार तो हैं, लेकिन गोला-बारूद की कमी एक सकारात्मक संकेत है। इससे यह संभावना है कि माओवादी जंगलों में सीधे सुरक्षा बलों से मुकाबला करने में सक्षम नहीं हैं, क्योंकि घरेलू स्तर पर कारतूस बनाने की कोई पुष्टि नहीं है।
निष्कर्ष
छत्तीसगढ़ में माओवादियों के पास मौजूद हथियार 2026 तक राज्य को माओवादी मुक्त बनाने की दिशा में सबसे बड़ी बाधाओं में से एक हैं। सरकार और सुरक्षा बलों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे इन हथियारों की बरामदगी और माओवादियों के आत्मसमर्पण को प्राथमिकता दें, ताकि राज्य को सुरक्षित और शांतिपूर्ण बनाया जा सके।