छत्तीसगढ़ के स्कूलों में ‘न्योता भोज’ बना परंपरा, 75 हजार से अधिक आयोजनों का रिकॉर्ड
छत्तीसगढ़ में दान की परंपरा का नया स्वरूप
छत्तीसगढ़ में सीएम विष्णुदेव साय की एक छोटी सी पहल ने नया इतिहास रच दिया है। राज्य के स्कूलों में सामुदायिक भागीदारी से ‘न्योता भोज’ का कार्यक्रम अब एक परंपरा बन चुका है। चार महीने में 75 हजार से अधिक आयोजनों के साथ यह पहल प्रधानमंत्री पोषण शक्ति योजना का सशक्त रूप बन गई है।
बिलासपुर में खास आयोजन
बिलासपुर के सरकंडा स्थित एक सरकारी स्कूल में शिक्षक प्रताप पाटनवार ने अपने जन्मदिन पर 700 बच्चों को भोजन करवाया। उन्होंने इसे अपनी 42 साल की सेवा का आभार प्रकट करने का जरिया बताया। उनके अनुसार, बच्चों के साथ भोजन करने से उन्हें जीवन की असली खुशी का अनुभव हुआ।
दान की प्राचीन परंपरा से प्रेरणा
सीएम साय ने बताया कि छत्तीसगढ़ में दान की परंपरा छेरछेरा पर्व से लेकर अन्य सामाजिक आयोजनों तक देखी जाती है। शास्त्रों में अन्नदान को महादान कहा गया है। यही विचार ‘न्योता भोज’ की नींव बना।
क्या है न्योता भोज?
‘न्योता भोज’ सामुदायिक सहयोग से बच्चों को पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने की एक अभिनव पहल है। इसमें जन्मदिन, सालगिरह या अन्य खास मौकों पर व्यक्ति या संगठन स्कूलों और छात्रावासों में बच्चों को भोजन करवाते हैं। भोजन में मिठाई, फल, अंकुरित अनाज, नमकीन आदि शामिल किए जा सकते हैं।
महत्वपूर्ण आंकड़े
- खैरागढ़-छुईखदान-गंडई और कोंडागांव: 99% स्कूलों में आयोजन।
- जांजगीर-चांपा: 98%, धमतरी: 96%, सुकमा और राजनांदगांव: 95%।
- अन्य जिलों में औसतन 70-90% तक स्कूलों में आयोजन हो चुके हैं।
न्योता भोज से लाभ
- बच्चों को पौष्टिक भोजन उपलब्ध।
- सामुदायिक जुड़ाव बढ़ा।
- स्कूलों की बेहतर मॉनिटरिंग।
- आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों को लाभ।