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OBC आरक्षण पर बड़ा विवाद, सूरजपुर के नरेश राजवाडे ने हाईकोर्ट में दायर की याचिका

छत्तीसगढ़ में OBC आरक्षण को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। सूरजपुर के नरेश राजवाडे ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर पंचायत निर्वाचन संशोधन को अवैधानिक ठहराया और आरक्षण रोस्टर को निरस्त कर नए तरीके से चुनाव करने की मांग की है।

छत्तीसगढ़ में OBC आरक्षण पर नया विवाद, सूरजपुर के नरेश राजवाडे ने दायर की हाईकोर्ट में याचिका

छत्तीसगढ़ में OBC आरक्षण का मुद्दा थमने का नाम नहीं ले रहा है। अब सूरजपुर के OBC महासभा के महासचिव और जिला पंचायत उपाध्यक्ष नरेश राजवाडे ने इस विवाद को और तेज कर दिया है। उन्होंने बिलासपुर हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की है, जिसमें ओबीसी महासभा ने पंचायत निर्वाचन संशोधन को अवैधानिक करार दिया है और वर्तमान आरक्षण रोस्टर को निरस्त कर वैधानिक रूप से नया रोस्टर तैयार करने की मांग की है।

हाईकोर्ट में दायर याचिका और OBC महासभा की स्थिति

नरेश राजवाडे ने अपनी याचिका में यह कहा है कि छत्तीसगढ़ सरकार ने पंचायत राज अधिनियम के धारा 129(ड.) की उपधारा (03) को हटाने के लिए छत्तीसगढ़ पंचायत राज (संशोधन) अध्यादेश लाया है, जिसे उन्होंने अवैधानिक ठहराया है। इस अध्यादेश के तहत OBC आरक्षण को प्रभावित किया गया है। याचिका में यह भी बताया गया है कि छत्तीसगढ़ सरकार ने संविधान के अनुच्छेद 213 के तहत अध्यादेश लाकर एक गंभीर चूक की है, क्योंकि यह अध्यादेश छत्तीसगढ़ विधानसभा के सत्र में पारित नहीं हुआ।

संशोधन को अवैधानिक ठहराया

नरेश राजवाडे की याचिका में यह भी कहा गया है कि, “भारत के संविधान के अनुच्छेद 213 में प्रावधान है कि कोई भी अध्यादेश केवल छह माह तक प्रभावी रह सकता है और इसे विधानसभा के सत्र में पारित कराना आवश्यक होता है।” याचिका में सरकार पर आरोप लगाया गया है कि इस अध्यादेश को छत्तीसगढ़ विधानसभा के सत्र में पारित नहीं किया गया, जिससे यह विधिशून्य हो गया है।

आवश्यक आरक्षण रोस्टर की मांग

याचिका में नरेश राजवाडे ने यह भी मांग की है कि वर्तमान में जो आरक्षण रोस्टर संशोधित किया गया है, वह अवैधानिक हो चुका है और इसे निरस्त किया जाए। इसके साथ ही, पहले के प्रावधानों के आधार पर एक वैधानिक आरक्षण रोस्टर तैयार कर पंचायत चुनाव कराए जाएं।

यह विवाद अब राज्य में राजनीतिक गर्माहट बढ़ा रहा है, क्योंकि OBC आरक्षण से जुड़े कई महत्वपूर्ण सवाल सामने आ रहे हैं। छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से इसे लेकर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन हाईकोर्ट में दायर की गई याचिका इस मुद्दे को और ज्यादा तूल दे सकती है।

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