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छत्तीसगढ़ नगरीय निकाय चुनाव: भाजपा में बगावत पर सख्त एक्शन, 250 कार्यकर्ता निलंबित, 600 पर लटकी तलवार

छत्तीसगढ़ में नगरीय निकाय चुनाव के बीच भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने पार्टी विरोधी गतिविधियों पर कड़ा रुख अपनाया है।

रायपुर। छत्तीसगढ़ में नगरीय निकाय चुनाव के बीच भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने पार्टी विरोधी गतिविधियों पर कड़ा रुख अपनाया है। टिकट न मिलने से नाराज होकर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रहे कार्यकर्ताओं के खिलाफ कार्रवाई शुरू हो गई है। अब तक प्रदेशभर में 250 भाजपा कार्यकर्ताओं को 6 साल के लिए निलंबित किया जा चुका है, और यह संख्या 600 तक पहुंच सकती है।

भाजपा में बगावत पर सख्त कार्रवाई

भाजपा ने प्रदेशभर में नगर पालिका, नगर पंचायत और नगर निगम चुनाव के लिए अधिकृत प्रत्याशियों को मैदान में उतारा है, लेकिन कई असंतुष्ट नेताओं ने बगावत करते हुए निर्दलीय रूप से नामांकन दाखिल कर दिया। इससे कई क्षेत्रों में भाजपा के लिए चुनौती खड़ी हो गई है, क्योंकि बागी प्रत्याशी पार्टी के अधिकृत उम्मीदवारों के वोट काट सकते हैं।

भाजपा ने स्पष्ट किया है कि जो कार्यकर्ता पार्टी के खिलाफ जाकर निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं या अधिकृत प्रत्याशी के खिलाफ प्रचार कर रहे हैं, उन पर अनुशासनात्मक कार्रवाई होगी। भाजपा प्रदेश महामंत्री भरत वर्मा ने कहा कि पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल नेताओं को 6 साल के लिए निलंबित किया जा रहा है।

किन जिलों में हुई कार्रवाई?

भाजपा ने कई जिलों में बागी नेताओं की सूची जारी की है। अब तक जिन जिलों में निष्कासन की कार्रवाई हुई है, उनमें शामिल हैं:

  • दुर्ग – 45 कार्यकर्ता
  • बालोद – 23 कार्यकर्ता
  • बलरामपुर – 9 कार्यकर्ता
  • जांजगीर-चांपा – 22 कार्यकर्ता
  • गरियाबंद – 26 कार्यकर्ता
  • धमतरी – 12 कार्यकर्ता
  • महासमुंद – 29 कार्यकर्ता
  • कांकेर – 14 कार्यकर्ता
  • रायपुर नगर निगम – 20 कार्यकर्ता
  • राजनांदगांव – 40 कार्यकर्ता (नगर निगम व अन्य निकाय)
  • कबीरधाम – 19 कार्यकर्ता

कांग्रेस भी बागियों पर सख्त

केवल भाजपा ही नहीं, बल्कि कांग्रेस ने भी अपने बागी नेताओं पर कार्रवाई शुरू कर दी है। बिलासपुर में कांग्रेस ने 21 कार्यकर्ताओं को निष्कासित किया है, जबकि प्रदेश कांग्रेस सचिव त्रिलोक श्रीवास को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।

चुनावी समीकरणों पर असर

भाजपा के इस सख्त कदम से चुनावी माहौल प्रभावित हो सकता है। कई क्षेत्रों में बागी उम्मीदवार मजबूत स्थिति में हैं, जिससे भाजपा और कांग्रेस दोनों को नुकसान हो सकता है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि मतदाता पार्टी के बजाय उम्मीदवार के आधार पर वोटिंग करेंगे, तो निर्दलीय प्रत्याशी जीत दर्ज कर सकते हैं।

क्या कह रहे हैं राजनीतिक विशेषज्ञ?

राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि भाजपा की यह कार्रवाई एक अनुशासनात्मक कदम है, लेकिन इसका असर चुनावी गणित पर भी पड़ेगा। कई कार्यकर्ताओं के निलंबन के बाद स्थानीय स्तर पर असंतोष बढ़ सकता है, जिससे कुछ निर्दलीय प्रत्याशी मजबूत हो सकते हैं।

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