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सुकमा: आत्मसमर्पित माओवादियों ने मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के तहत रचाई शादी

मुख्यमंत्री साय की उपस्थिति में मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के अंतर्गत आत्मसमर्पित दो माओवादी जोड़ों ने विवाह कर अपने जीवन की नई शुरुआत की

सुकमा। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की उपस्थिति में मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना और नक्सल पुनर्वास योजना के अंतर्गत आत्मसमर्पित दो माओवादी जोड़ों ने विवाह कर अपने जीवन की नई शुरुआत की। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने उन्हें आशीर्वाद दिया और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की।

नवविवाहित जोड़ों का परिचय

  • गगनपल्ली निवासी मौसम महेश ने डुब्बामरका निवासी हेमला मुन्नी का हाथ थामा।
  • कन्हाईपाड़ निवासी मड़कम पाण्डू ने सल्लातोंग निवासी रव्वा भीमे के साथ अपने नए जीवन की शुरुआत की।

मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के लाभ

महिला एवं बाल विकास विभाग की मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के तहत प्रत्येक जोड़े को 50,000 रुपये की वित्तीय सहायता दी गई:

  • 7,000 रुपये श्रृंगार सामग्री के लिए।
  • 8,000 रुपये विवाह आयोजन के लिए।
  • 35,000 रुपये प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) के माध्यम से उनके खातों में जमा किए गए।

नक्सल पुनर्वास नीति से प्रेरणा

दोनों जोड़ों ने सरकार की नक्सल पुनर्वास नीति से प्रेरित होकर मुख्यधारा में लौटने का निर्णय लिया।

  • मौसम महेश और मड़कम पाण्डू ने 12 साल तक नक्सली संगठन में अपनी भूमिका निभाई।
  • हेमला मुन्नी ने 9 साल और रव्वा भीमे ने 6 साल नक्सल संगठन में बिताए।
  • आत्मसमर्पण करने के बाद, उन्हें समाज में सम्मानजनक जीवन जीने का अवसर मिला।

नियद नेल्लानार योजना का सकारात्मक प्रभाव

सरकार की नियद नेल्लानार योजना ने आत्मसमर्पित माओवादियों को रोजगार, शिक्षा, और पुनर्वास के लिए वित्तीय सहायता प्रदान कर उन्हें एक नई राह दिखाई।

  • योजना के तहत आत्मसमर्पित माओवादियों को रोजगार, शिक्षा, और वित्तीय स्वतंत्रता के साधन उपलब्ध कराए जा रहे हैं।
  • यह पहल उन्हें समाज में सम्मानजनक स्थान दिलाने के साथ-साथ एक नई जिंदगी जीने का हौसला देती है।

मुख्यमंत्री का संदेश

मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि आत्मसमर्पण करने वाले माओवादी समाज की मुख्यधारा में लौटकर बेहतर भविष्य की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं। सरकार द्वारा उनके पुनर्वास और सशक्तिकरण के लिए हर संभव सहायता प्रदान की जाएगी।

समाप्ति

मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना और नक्सल पुनर्वास नीति जैसी योजनाएं न केवल आत्मसमर्पित माओवादियों को समाज में पुनः स्थापित करने का माध्यम बन रही हैं, बल्कि छत्तीसगढ़ में शांति और समृद्धि का नया अध्याय भी लिख रही हैं।

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