छात्रावास से भागे बच्चे: विभागीय खामियां या बच्चों की मजबूरी?
चंद्रनगर प्री-मैट्रिक बालक छात्रावास से चार स्कूली बच्चों के भागने की घटना ने जिले में हड़कंप मचा दिया। बिना किसी पूर्व सूचना के बच्चों के लापता होने
बलरामपुर। चंद्रनगर प्री-मैट्रिक बालक छात्रावास से चार स्कूली बच्चों के भागने की घटना ने जिले में हड़कंप मचा दिया। बिना किसी पूर्व सूचना के बच्चों के लापता होने से छात्रावास प्रबंधन और आदिवासी विकास विभाग सवालों के घेरे में आ गए हैं। बच्चों को उनके परिजनों से संपर्क कर वापस लाया गया, लेकिन यह मामला विभागीय खामियों की ओर इशारा करता है।
घटना का कारण: अधीक्षक का दुर्व्यवहार
मिली जानकारी के अनुसार, छात्रावास अधीक्षक के दुर्व्यवहार और अव्यवस्थाओं से नाराज बच्चों ने छात्रावास छोड़ दिया। वे अपने सामान के साथ चुपचाप निकल गए। घटना की जानकारी मिलते ही आदिवासी विकास विभाग के अधिकारी सक्रिय हुए। सहायक आयुक्त समीक्षा जायसवाल ने बच्चों के परिजनों से मिलकर उनकी चिंताओं को दूर किया और बच्चों को समझाकर छात्रावास वापस लाया।
समीक्षा जायसवाल ने लिया संज्ञान
सहायक आयुक्त समीक्षा जायसवाल ने तुरंत छात्रावास का निरीक्षण किया। उन्होंने अधीक्षक को कड़ी फटकार लगाई और स्पष्ट निर्देश दिए कि भविष्य में बच्चों के साथ किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। साथ ही उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि बच्चों की शिकायतों का निवारण प्राथमिकता से किया जाएगा।
प्रमुख समस्याएं और समाधान
– लापरवाही उजागर: यह घटना छात्रावास प्रबंधन की कमजोरियों को उजागर करती है। बच्चों की शिकायतों को अनदेखा करना, उनके मानसिक स्वास्थ्य पर असर डालता है।
– अधीक्षक पर कार्रवाई की मांग: विभाग को अधीक्षक के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करनी चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
– विभागीय सुधार की आवश्यकता: बच्चों का विश्वास जीतने के लिए विभाग को व्यवस्थाओं में सुधार करना होगा।