दिल्ली। देश में राजनीतिक दल (राष्ट्रीय/राज्य/आरयूपीपी) जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 29ए के प्रावधानों के तहत निर्वाचन आयोग (ईसीआई) के साथ पंजीकृत हैं।
अधिनियम के प्रावधानों के तहत, किसी भी संगठन को एक बार राजनीतिक दल के रूप में पंजीकृत होने पर, प्रतीक, कर छूट आदि जैसे कुछ विशेषाधिकार और लाभ प्राप्त होते हैं।
राजनीतिक दलों के पंजीकरण के लिए दिशानिर्देशों में उल्लेख किया गया है कि यदि कोई पार्टी 6 वर्षों तक लगातार चुनाव नहीं लड़ती है, तो उसे पंजीकृत दलों की सूची से हटा दिया जाएगा।
चुनावी प्रणाली को साफ-सुथरा बनाने की एक व्यापक और सतत रणनीति के तहत, निर्वाचन आयोग 2019 से लगातार 6 वर्षों तक एक भी चुनाव लड़ने की आवश्यक शर्त को पूरा करने में विफल रहे पंजीकृत गैर-मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों (आरयूपीपी) की पहचान करने और उन्हें सूची से हटाने के लिए एक राष्ट्रव्यापी अभ्यास कर रहा है।
इस प्रक्रिया के पहले चरण में, ईसीआई ने 9 अगस्त, 2025 को 334 आरयूपीपी को सूची से हटा दिया था।
इसी क्रम में, दूसरे चरण में, चुनाव आयोग ने 18 सितंबर, 2025 को 474 आरयूपीपी को चुनाव आयोग द्वारा लगातार 6 वर्षों तक आयोजित चुनावों में भाग न लेने के आधार पर सूची से हटा दिया। इस प्रकार, पिछले 2 महीनों में 808 आरयूपीपी को सूची से हटा दिया गया है। (अनुलग्नक-ए)
इस पहल को आगे बढ़ाने के लिए, 359 ऐसे आरयूपीपी की पहचान की गई है , जिन्होंने पिछले तीन वित्तीय वर्षों (अर्थात 2021-22, 2022-23, 2023-24) में अपने वार्षिक लेखापरीक्षित खाते निर्धारित समयावधि में प्रस्तुत नहीं किए हैं और चुनाव तो लड़े हैं, लेकिन चुनाव व्यय रिपोर्ट दाखिल नहीं की है। ये देश भर के 23 विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से हैं। (अनुलग्नक-बी)
यह सुनिश्चित करने के लिए कि किसी भी पक्ष को अनुचित रूप से सूची से बाहर न किया जाए, संबंधित राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के मुख्य कार्यकारी अधिकारियों को इन आरयूपीपी को कारण बताओ नोटिस जारी करने का निर्देश दिया गया है, जिसके बाद संबंधित सीईओ द्वारा सुनवाई के माध्यम से पक्षों को अवसर दिया जाएगा।
ईसीआई सीईओ की रिपोर्ट के आधार पर किसी भी आरयूपीपी को सूची से हटाने पर चुनाव आयोग अंतिम निर्णय लेता है।