सीएम विष्णुदेव साय ने 1975 की घटना को बताया ‘संविधान की हत्या’, लोकतंत्र सेनानियों को किया याद
सीएम विष्णुदेव साय ने 1975 की घटना को बताया 'संविधान की हत्या', लोकतंत्र सेनानियों को किया याद

रायपुर, छत्तीसगढ़: 25 जून 2025 को भारत के इतिहास के एक महत्वपूर्ण और विवादास्पद अध्याय – आपातकाल – के 50 वर्ष पूरे होने पर, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने इसे ‘संविधान की हत्या का दिन’ बताया। उन्होंने इस अवसर पर उन सभी बहादुर ‘लोकतंत्र सेनानियों’ को श्रद्धांजलि अर्पित की, जिन्होंने 1975 में देश पर थोपी गई इस आपातकाल के दौरान संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा के लिए कारावास की पीड़ा झेली।
मुख्यमंत्री साय ने रायपुर लौटते समय पत्रकारों से बात करते हुए अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने जोर देकर कहा कि 25 जून, 1975 का वह दिन था जब देश पर एकतरफा आपातकाल थोप दिया गया था, जिसने नागरिकों के मौलिक अधिकारों को कुचल दिया और लोकतांत्रिक स्वतंत्रता को बाधित किया। उनके अनुसार, यह घटना भारतीय लोकतंत्र के लिए एक गहरा आघात थी, जिसके निशान आज भी महसूस किए जाते हैं। उन्होंने इस दौर में संघर्ष करने वाले सभी व्यक्तियों के त्याग और समर्पण को सलाम किया।
वाराणसी में केंद्रीय परिषद की बैठक और ‘विकसित भारत’ की रूपरेखा: मुख्यमंत्री साय वाराणसी में आयोजित मध्य क्षेत्रीय परिषद की 25वीं बैठक में शामिल होकर लौटे थे। उन्होंने बताया कि इस महत्वपूर्ण बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने की। बैठक का मुख्य केंद्र बिंदु राज्यों के विकास और ‘विकसित भारत’ के राष्ट्रीय लक्ष्य की प्राप्ति में उनकी भूमिका पर गहन चर्चा थी। साय ने यह भी जानकारी दी कि परिषद की अगली बैठक छत्तीसगढ़ के बस्तर अंचल में आयोजित की जाएगी। उन्होंने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि बस्तर में, जो कभी नक्सलवाद से बुरी तरह प्रभावित था, अब यह समस्या काफी हद तक कम होती दिख रही है, जो क्षेत्र के विकास के लिए शुभ संकेत है।
दिल्ली में केंद्रीय मंत्रियों से मुलाकात: वाराणसी से पहले, मुख्यमंत्री साय ने दिल्ली में केंद्रीय खाद्य, उपभोक्ता मामले एवं नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री प्रह्लाद जोशी से भी मुलाकात की। इस बैठक में खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने, उपभोक्ता अधिकारों के संरक्षण और नवीन तथा नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में राज्य की प्रगति और संभावनाओं पर विस्तृत विचार-विमर्श हुआ।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के ये बयान और सक्रियता न केवल ऐतिहासिक घटनाओं पर उनके रुख को दर्शाते हैं, बल्कि राज्य के विकास और राष्ट्रीय एजेंडे के साथ तालमेल बिठाने की उनकी प्रतिबद्धता को भी रेखांकित करते हैं।