छत्तीसगढ़ के बालोद जिले में ग्रामीण विकास के लिए एक नई ऊर्जा का संचार हुआ। ग्राम पंचायतों में उत्कृष्ट कार्य करने वाले सरपंचों और सचिवों को जिला पंचायत सीईओ डॉ. संजय कन्नौजे द्वारा सम्मानित किया गया। उन्मुखीकरण कार्यशाला के माध्यम से न केवल उन्हें सराहा गया, बल्कि उनके प्रयासों को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए दिशा-निर्देश भी दिए गए।
सामाजिक नवाचार: एक पेड़ मां के नाम
कार्यक्रम में डॉ. कन्नौजे ने “एक पेड़ मां के नाम” अभियान के तहत अपनी माता के नाम पर पौधारोपण किया। यह पहल पर्यावरण संरक्षण और जनजागरूकता का अद्भुत उदाहरण बनी। उन्होंने ग्रामीणों से भी इस अभियान में भागीदारी करने और गांवों को स्वच्छ व हरित बनाने का आह्वान किया।
महत्वपूर्ण योजनाओं पर फोकस
सीईओ ने महात्मा गांधी नरेगा, पीएम आवास योजना-ग्रामीण, स्वच्छ भारत मिशन, और एनआरएलएम जैसी योजनाओं के लंबित कार्यों को समय पर पूरा करने का निर्देश दिया। साथ ही, जेम पोर्टल के माध्यम से खरीदी और जियो टैगिंग जैसे तकनीकी विषयों पर विस्तार से चर्चा की गई।
सम्मानित सरपंच और सचिव: प्रेरणा के स्तंभ
कार्यक्रम में उन सरपंचों और सचिवों को सम्मानित किया गया, जिन्होंने शासन की योजनाओं को गांवों के विकास के लिए बेहतर ढंग से लागू किया। इनमें सुशीला देवांगन (मोहंदीपाठ), संतोषी सिन्हा (गब्दी), और प्रतिभा देवदास (कांदुल) जैसे नाम शामिल हैं। सचिवों में मीना देवांगन (गब्दी), रेखराम साहू (कांदुल), और अन्य ने अपनी कार्यक्षमता से मिसाल कायम की।
ग्रामीण विकास की नई परिभाषा
डॉ. कन्नौजे ने कहा कि पंचायती राज के तहत गांवों का सर्वांगीण विकास सरपंचों और सचिवों की मुख्य जिम्मेदारी है। उन्होंने स्वच्छ, सुपोषित और आत्मनिर्भर पंचायतों के निर्माण की दिशा में कार्य करने का आह्वान किया।
सामूहिक प्रयासों की दिशा में कदम
इस कार्यशाला ने न केवल नवाचार और सामूहिक प्रयासों को बल दिया, बल्कि ग्रामीण विकास के लिए एक नई दृष्टि प्रस्तुत की। यह आयोजन बालोद जिले के पंचायत नेतृत्व के लिए एक प्रेरणादायक पहल साबित हुआ।