राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के कार्यकाल पर कांग्रेस ने उठाए सवाल, राष्ट्रपति कार्यालय से मांगी स्थिति स्पष्ट करने की मांग
राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के कार्यकाल पर कांग्रेस ने उठाए सवाल, राष्ट्रपति कार्यालय से मांगी स्थिति स्पष्ट करने की मांग

लखनऊ : उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल के कार्यकाल को लेकर एक बार फिर राजनीतिक गलियारों में बहस छिड़ गई है। कांग्रेस ने उनके कार्यकाल पर गंभीर सवाल उठाते हुए राष्ट्रपति कार्यालय से इस संबंध में स्थिति स्पष्ट करने की मांग की है। कांग्रेस का आरोप है कि राज्यपाल का पद संवैधानिक गरिमा के अनुरूप नहीं चलाया जा रहा है और उनके पिछले कार्यकाल भी विवादों में रहे हैं।
उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के मीडिया विभाग के चेयरमैन और पूर्व मंत्री डॉ. सीपी राय ने इस मामले पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि आनंदीबेन पटेल का न केवल उत्तर प्रदेश बल्कि गुजरात, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भी राज्यपाल के रूप में कार्यकाल विवादों से घिरा रहा है। डॉ. राय ने केंद्र सरकार से इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच कराने की मांग की है।
कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि राज्यपाल द्वारा कानून-व्यवस्था और ‘बुलडोजर नीति’ जैसे संवेदनशील मुद्दों पर दिए गए बयान पक्षपातपूर्ण रहे हैं। पार्टी का कहना है कि यह एक संवैधानिक पद की गरिमा के खिलाफ है। इसके साथ ही, राज्यपाल के कार्यकाल विस्तार की स्थिति को लेकर भी स्पष्टीकरण मांगा गया है।
गौरतलब है कि आनंदीबेन पटेल ने 29 जुलाई 2019 को उत्तर प्रदेश के राज्यपाल का कार्यभार संभाला था। आमतौर पर राज्यपाल का कार्यकाल पांच साल का होता है। हालांकि, मौजूदा राज्यपाल तब तक पद पर बने रहते हैं जब तक कि किसी नए राज्यपाल की नियुक्ति नहीं हो जाती या उन्हें दूसरा कार्यकाल नहीं मिल जाता। उत्तर प्रदेश के इतिहास में अब तक किसी भी राज्यपाल को लगातार दूसरा कार्यकाल नहीं मिला है।
कांग्रेस के इन आरोपों के बाद इस मुद्दे पर सियासी सरगर्मी तेज हो गई है। यह देखना दिलचस्प होगा कि राष्ट्रपति कार्यालय और केंद्र सरकार इस मामले पर क्या रुख अपनाते हैं।