छत्तीसगढ़ राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने प्रदेश में बाल अधिकारों के संरक्षण और बच्चों के सर्वांगीण विकास को सुनिश्चित करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। आयोग ने राज्य के 6 प्रमुख विश्वविद्यालयों के साथ एक महत्वपूर्ण समझौता ज्ञापन (Memorandum of Understanding – MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं।
समझौता ज्ञापन का उद्देश्य
इस MoU का मुख्य उद्देश्य शैक्षणिक संस्थानों के साथ मिलकर एक मजबूत तंत्र विकसित करना है ताकि बाल अधिकारों से जुड़े मुद्दों पर प्रभावी ढंग से काम किया जा सके। प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं:
- अनुसंधान और अध्ययन: बाल अधिकार संरक्षण से संबंधित विषयों पर गहन शोध कार्य को बढ़ावा देना।
- जागरूकता और शिक्षा: बच्चों, अभिभावकों और शिक्षकों के बीच बाल अधिकारों और सुरक्षा के प्रति जागरूकता फैलाना।
- नीतियाँ बनाना: शोध और अध्ययन के निष्कर्षों के आधार पर बाल अधिकारों के संरक्षण के लिए प्रभावी नीतियाँ तैयार करने में आयोग की सहायता करना।
- संरक्षण कार्य में सहयोग: विश्वविद्यालयों के छात्रों और संकायों (Faculty) को बाल संरक्षण के जमीनी कार्यों में शामिल करना।
शामिल विश्वविद्यालय
आयोग ने राज्य के इन 6 प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों के साथ समझौता किया है:
- 1. पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर
- 2. छत्तीसगढ़ स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय (CSVTU), भिलाई
- 3. इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर
- 4. शहीद महेंद्र कर्मा विश्वविद्यालय, बस्तर
- 5. अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय, बिलासपुर
- 6. हेमचंद यादव विश्वविद्यालय, दुर्ग
आयोग के पदाधिकारियों ने इस पहल को “एक ऐतिहासिक कदम” बताया है। उनका मानना है कि शैक्षणिक संस्थानों की विशेषज्ञता और संसाधन का उपयोग करके राज्य में बाल अधिकारों के उल्लंघन को रोकने और बच्चों के लिए सुरक्षित वातावरण बनाने के प्रयासों को मजबूती मिलेगी।
समझौते के तहत, ये विश्वविद्यालय बाल अधिकारों से जुड़े कार्यक्रमों, संगोष्ठियों (Seminars) और कार्यशालाओं के आयोजन में सक्रिय रूप से सहयोग करेंगे।