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CSVTU में ₹1.50 करोड़ का रिकॉर्डिंग घोटाला, बिना टेंडर हुआ काम, जांच जारी

CSVTU में लेक्चर रिकॉर्डिंग के नाम पर ₹1.50 करोड़ खर्च। बिना टेंडर प्रक्रिया एजेंसी को ठेका। राजभवन और मंत्रालय तक पहुंचा मामला। जांच जारी, प्राध्यापकों का भुगतान लंबित।

CSVTU में रिकॉर्डिंग घोटाला: बिना टेंडर 1.50 करोड़ की रिकॉर्डिंग पर खर्च, राजभवन और मंत्रालय तक पहुंचा मामला

रायपुर।स्वामी विवेकानंद तकनीकी विश्वविद्यालय (CSVTU) में रिकॉर्डिंग घोटाले का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। विवि ने 40-45 मिनट के एक लेक्चर की रिकॉर्डिंग के लिए ₹25,000 प्रति लेक्चर एजेंसी को दिए। बीते सत्र में कुल 600 लेक्चर रिकॉर्ड किए गए, जिन पर ₹1.50 करोड़ का खर्च हुआ। विवाद की जड़ यह है कि विवि में पहले से मौजूद रिकॉर्डिंग स्टूडियो होते हुए भी बाहरी एजेंसी को बिना टेंडर प्रक्रिया के यह काम सौंप दिया गया।

क्या है पूरा मामला?

  • 600 लेक्चर रिकॉर्डिंग: ₹25,000 प्रति लेक्चर की दर से रिकॉर्डिंग का ठेका दिया गया।
  • बिना टेंडर प्रक्रिया: रिकॉर्डिंग का काम देने के लिए कोई टेंडर प्रक्रिया नहीं अपनाई गई।
  • कमेटी द्वारा एजेंसी तय: एक आंतरिक कमेटी ने एजेंसी का निर्धारण किया, लेकिन इसमें पारदर्शिता पर सवाल उठ रहे हैं।
  • राजभवन और मंत्रालय तक शिकायत: विवि में हुए इस खर्च को लेकर राजभवन तक शिकायत पहुंची। मंत्रालय ने विवि प्रबंधन को जांच का आदेश दिया।

मुख्य विवाद बिंदु

  1. रिकॉर्डिंग स्टूडियो का उपयोग नहीं हुआ: विवि परिसर में मौजूद रिकॉर्डिंग स्टूडियो, जिसका उद्घाटन कुछ साल पहले ही हुआ था, का उपयोग नहीं किया गया।
  2. प्राध्यापकों का भुगतान लंबित: जिन प्राध्यापकों ने लेक्चर रिकॉर्ड किए, उन्हें ₹5,000 प्रति लेक्चर देने का वादा किया गया था, लेकिन अभी तक यह राशि नहीं मिली है।
  3. बाहरी एजेंसी को थोक में भुगतान: रिकॉर्डिंग एजेंसी को पूरा भुगतान कर दिया गया है, लेकिन शिक्षकों का भुगतान रुका हुआ है।
  4. UGC योजना का उद्देश्य: यह योजना छात्रों को निशुल्क लेक्चर उपलब्ध कराने के लिए थी, लेकिन इसके संचालन में वित्तीय अनियमितताएं सामने आईं।

जांच की स्थिति

  • जांच कमेटी का गठन: मंत्रालय के आदेश के बाद विवि ने जांच कमेटी का गठन किया।
  • शिकायतकर्ता का छद्म पता: जिस पते से शिकायत की गई थी, वह फर्जी पाया गया।
  • नतीजा अभी अधूरा: जांच में कोई ठोस निर्णय नहीं लिया जा सका और जिम्मेदारों की पहचान नहीं हुई।

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