दशलक्षण पर्व: जैन मंदिरों में हो रहे विधान, भक्तों में उत्साह
दिगंबर जैन समाज के दशलक्षण पर्व रविवार से प्रारंभ हो गए है। इसके चलते जैन मंदिरों में विधान किए जा रहे हैं।
जैन धर्म में दसलक्षण पर्व एक पवित्र पर्व है। दिगंबर जैन समाज के लोग हर साल भाद्रपद शुक्ल पक्ष में पंचमी तिथि से अनंत चतुर्दशी तक इसे श्रद्धापूर्वक मनाते हैं। शहर के सभी मंदिरों में हर दिन अलग-अलग उत्सव होंगे। 10 दिवसीय इस पर्व का उद्देश्य आत्मा की शुद्धि, संयम और आध्यात्मिक उन्नति है।
श्री दिगंबर जैन पंचायत ट्रस्ट रायपुर द्वारा आयोजित , “घर घर पाठशाला, हर घर पाठशाला” –
सांस्कृतिक कार्यक्रम की श्रृंखला में आज घर-घर पाठशाला , हर घर पाठशाला के आयोजन में बच्चो के द्वारा मंगलाचरण, युवा पीढ़ी के लिए आवश्यक धर्मसंस्कार एवं आचार्य श्री के प्रकल्प पर आधारित नाट्य मंचन किया गया ,कार्यक्रम प्रभारी चंचल लोकेश जैन , शालिनी आनंद जैन ने कमेटी और सांस्कृतिक प्रभारी को आभार व्यक्त किया .
दशलक्षण पर्व –
दिगंबर जैन समाज के दशलक्षण पर्व का आरंभ हो चुका है, जो कि जैन धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व है । यह पर्व 10 दिनों तक चलेगा, जिसमें जैन मंदिरों में विशेष विधान, पूजा, आरती और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं ।
इस पर्व के दौरान, जैन समुदाय के लोग अपनी शक्ति अनुसार व्रत-उपवास करते हैं, भगवान की पूजा-अर्चना में अधिक से अधिक समय व्यतीत करते हैं और सामूहिक रूप से पापों की क्षमा मांगते हैं ।
दशलक्षण पर्व के दौरान, जैन मंदिरों में विशेष आयोजन किए जाते हैं, जिनमें समवशरण महामण्डल विधान, दशलक्षण महामण्डल विधान, महाआरती और जागरण आदि शामिल हैं ।
इस पर्व का मुख्य उद्देश्य आत्मा को शुद्ध बनाने के लिए आवश्यक उपक्रमों पर ध्यान केंद्रित करना होता है ।
दिगंबर जैन समाज के दशलक्षण पर्व के दौरान, अलवर शहर में मन्नी का बड़ स्थित आदिनाथ जैन मंदिर में पूजा की गई और अन्य मंदिरों में भी विशेष आयोजन किए गए ।
इस पर्व के दौरान, जैन समुदाय के लोगों को अपने पापों की क्षमा मांगने और भविष्य में उनसे बचने की प्रतिज्ञा करने का अवसर मिलता है ।
दशलक्षण पर्व के समापन पर, क्षमापना का कार्यक्रम आयोजित किया जाता है, जिसमें लोग अपने पापों की क्षमा मांगते हैं और समस्त जीवों से क्षमा मांगते हैं ।