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संसद के मानसून सत्र का दूसरा दिन: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ राज्यसभा से अनुपस्थित, विपक्ष के हंगामे के बाद दोनों सदन स्थगित

संसद के मानसून सत्र का दूसरा दिन: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ राज्यसभा से अनुपस्थित, विपक्ष के हंगामे के बाद दोनों सदन स्थगित

नई दिल्ली: संसद के मानसून सत्र का मंगलवार को दूसरा दिन हंगामेदार रहा, जिसके चलते लोकसभा और राज्यसभा दोनों सदनों को दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित करना पड़ा। सोमवार रात अपने पद से इस्तीफा दे चुके उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ आज राज्यसभा नहीं पहुंचे, उनकी जगह उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह ने सदन की कार्यवाही संभाली।

संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही शुरू होते ही विपक्ष ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ समेत अन्य मुद्दों को लेकर हंगामा शुरू कर दिया। विपक्षी सांसद, जिनमें लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी और समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव भी शामिल थे, संसद के मकर द्वार के पास हाथों में तख्तियां लेकर विरोध प्रदर्शन करते नजर आए। उन्होंने ‘पहलगाम’ और ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के साथ-साथ बिहार में एसआईआर (स्पेशल इंटेंसिव रिव्यू) अभ्यास के खिलाफ भी नारेबाजी की।

दूसरे दिन की कार्यवाही से पहले, संसद भवन में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक बैठक की, जिसमें केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा सहित अन्य मंत्री भी शामिल हुए। वहीं, विपक्षी I.N.D.I.A. गठबंधन के नेताओं ने भी सदन की रणनीति तैयार करने के लिए एक महत्वपूर्ण बैठक की, जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी और जयराम रमेश सहित कई नेता मौजूद थे।

उल्लेखनीय है कि उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सोमवार रात 9 से 10 बजे के बीच स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए राष्ट्रपति को अपना इस्तीफा सौंप दिया था। उनके अचानक इस्तीफे से राजनीतिक हलचल तेज हो गई है और मानसून सत्र के पहले दिन ही उनके इस्तीफे की टाइमिंग पर सवाल उठाए जा रहे हैं। सोमवार को वह राज्यसभा की कार्यवाही में शामिल हुए थे और उन्होंने सभापति के तौर पर भाषण भी दिया था। विपक्ष ने पहले भी धनखड़ पर ‘तानाशाह, हेडमास्टर और सरकार के प्रवक्ता’ होने जैसे आरोप लगाए थे, और मल्लिकार्जुन खरगे व उनके बीच संसद में अक्सर जुबानी जंग देखने को मिलती थी।

मानसून सत्र के पहले दिन सोमवार को राज्यसभा से ‘बिल ऑफ लैडिंग बिल 2025’ पारित हुआ। यह बिल 1856 के भारतीय बिल्स ऑफ लैडिंग एक्ट का स्थान लेगा और माल पत्र जारी करने के लिए कानूनी ढांचा प्रदान करेगा, जो समुद्री मार्ग से भेजे जाने वाले सामान के लिए एक प्रमाण दस्तावेज होता है।

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