दिल्ली सरकार का ऐतिहासिक फैसला: कश्मीरी विस्थापितों के लिए ‘विशेष अवसर योजना’ लागू, अब बिना आय सीमा के ₹13,000 मासिक राहत

नई दिल्ली। दिल्ली सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी में रह रहे कश्मीरी विस्थापित (Kashmiri Migrants) परिवारों के लिए एक ऐतिहासिक और मानवीय निर्णय लिया है। सरकार ने ‘विशेष अवसर योजना’ (Special Opportunity Scheme) को लागू करने की घोषणा की है, जिसके तहत दिल्ली में रह रहे सभी 1800 कश्मीरी विस्थापित परिवारों को बड़ी राहत मिलेगी।

सबसे महत्वपूर्ण घोषणा यह है कि इस योजना के तहत वित्तीय सहायता प्राप्त करने के लिए अब किसी प्रकार की आय सीमा (Income Limit) लागू नहीं होगी। पहले, ₹26,800 मासिक आय सीमा की शर्त थी, जिससे कई पात्र परिवार बाहर हो जाते थे। अब यह शर्त समाप्त कर दी गई है, जिससे सभी पंजीकृत परिवार इस योजना का लाभ उठा सकेंगे।

कितनी मिलेगी वित्तीय सहायता?

सरकार ने घोषणा की है कि दिल्ली में रह रहे कश्मीरी विस्थापित परिवारों के प्रत्येक सदस्य को हर महीने ₹3,250 की वित्तीय सहायता दी जाएगी। यह राशि परिवार के अधिकतम चार सदस्यों तक ही दी जाएगी। इसका मतलब है कि हर महीने एक कश्मीरी परिवार को दिल्ली सरकार से लगभग ₹13,000 तक की सहायता मिलेगी।

मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने इस निर्णय को तीन दशकों से अपने घरों से दूर रह रहे कश्मीरी हिंदू विस्थापितों के लिए राहत प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया।

बकाया राहत भत्ता होगा जारी

मुख्यमंत्री ने बताया कि 1990 के दशक की शुरुआत में आतंकवाद के कारण हजारों कश्मीरी हिंदू परिवार विस्थापित होकर दिल्ली आ बसे थे। इन परिवारों को पहले ‘एड-हॉक मंथली रिलीफ’ दी जाती थी। लेकिन, पुराने नियमों की जटिलताओं, खासकर आय सीमा की शर्त और रिकॉर्ड अपडेट न हो पाने के कारण पिछले डेढ़ साल से यह राहत राशि वितरित नहीं हो पा रही थी।

सरकार ने अब इन सभी कठिनाइयों को दूर कर दिया है। ‘विशेष अवसर योजना’ के तहत सभी पंजीकृत परिवारों को अपने परिवार के वर्तमान सदस्यों का विवरण दर्ज करने का एक बार अवसर मिलेगा। सबसे बड़ी राहत यह है कि सरकार ने निर्णय लिया है कि सितंबर 2025 तक का समस्त बकाया राहत भत्ता भी इन प्रभावित परिवारों को तुरंत जारी किया जाएगा।

शिक्षा मंत्री आशीष सूद द्वारा कश्मीरी विस्थापितों से मुलाकात कर उनकी समस्याएं सुनने के बाद यह निर्णय लिया गया। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि यह सहायता कोई दान नहीं, बल्कि ऐतिहासिक विस्थापन के कारण मिलने वाला अधिकार है, जिसे मानवीय आधार पर प्रदान किया जाना चाहिए।

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